प्रलोभन देकर वोट की साजिश करने वाली पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद हो



कानपुर। [FMK News] राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव जीतने के उद्देश्य से जिस तरह फ्री में राशन बांटने, स्कूटी बांटने, बिजली के बिल माफ करने आदि के प्रलोभन देकर जनता को गुमराह कर वोट पाने का कुचक्र रचा जा रहा है को लेकर के कानपुर नगर के अधिवक्ताओं व पत्रकारों द्वारा महामहिम राष्ट्रपति व चुनाव आयोग को संबोधित एक ज्ञापन एसीएम फर्स्ट श्री गौतम के माध्यम से प्रेषित किया गया ज्ञापन के माध्यम से अधिवक्ता व पत्रकारों ने प्रलोभन देकर वोट पाने की इस साजिश को जनता से छल घोषित करने की मांग करते हुए ऐसी पार्टियों के पंजीकरण को रद्द किए जाने की मांग की है ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से विनोद यादव, सतीश शर्मा, शिव सिंह यादव, शोभित टंडन, सुशील वर्मा एडवोकेट सहित तमाम पत्रकार मुकीम कुरेशी, मोहम्मद सिद्दीक आदि उपस्थित रहे ज्ञापन का नेतृत्व वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी दीक्षित ने किया।

आई0एम0ए ने किया वार्ता का आयोजन किया

कानपुर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा शनिवार को एक पत्रकार वालों का आयोजन  आईएमए के सेमिनार हॉल में किया गया। इस पत्रकार वार्ता का आयोजन आज आयोजित सीएमई प्रोग्राम  विषय पर आयोजित की गई।इस पत्रकार वार्ता को आईएमए कानपुर के अध्यक्ष बृजेंद्र शुक्ला, वक्ता डॉ अभिनीत गुप्ता कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट रीजेंसी हॉस्पिटल कानपुर, डॉ अर्चना भदौरिया चेयरपर्सन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ अशोक वर्मा संयुक्त वैज्ञानिक सचिव, डॉ पल्लवी चौरसिया वैज्ञानिक सचिव एवं डॉ देवज्योति देवराय सचिव आईएमए कानपुर ने संबोधित किया।आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ बृजेंद्र शुक्ला ने आए हुए सभी पत्रकारों का स्वागत किया और बताया कि हृदय रोग की बीमारी अब आम बीमारी हो गई है दिल का दौरे को रोका नहीं जा सकता परन्तु हम जोखिम को नियंत्रित कर सकते हैं किसी भी नय लक्षण जैसे की सांस फूलना, सीने में दर्द, अत्यधिक पसीना और चक्कर आना को हम इसलिए नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि वह लक्षण कम आयु वर्ग वाले लोगों में है। हार्ट अटैक किसी भी उन के और कितने भी स्वस्थ रोगी को हो सकता है। आज के कार्यक्रम का संचालन डॉ पल्लवी चौरसिया वैज्ञानिक सचिव आईएमए कानपुर ने किया। डॉ ए के त्रिवेदी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ ने आज के विषय पर प्रकाश डाला। डॉ अशोक वर्मा संयुक्त वैज्ञानिक सचिव ने वक्ता का परिचय कराया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईएमए कानपुर के सचिव डॉ देवज्योति देवराय ने दिया।आज के वक्ता डॉ अभिनीत गुप्ता ने बताया कि संलग्न आज के कार्यक्रम के चेयरपर्सन प्रो डॉ आर पी एस भारद्वाज, पूर्व प्रौ एवं विभागाध्यक्ष हृदय रोग संस्थान कानपुर तथा डों मोहम्मद अहमद पूर्व प्रो हृदय रोग संस्थान कानपुर थे। आज के कार्यक्रम के पैनलिस्ट डॉ ए सी अग्रवाल वरिष्ठ फिजिशियन एवं डॉ ए के त्रिवेदी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ रीजेंसी हॉस्पिटल कानपुर थे।

मशाल जुलूस निकालकर सौंपा ज्ञापन, मांगे ना पूरी हुई तो होगा 8 दिसंबर से होगा चक्का जाम

कानपुर, कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश में उर्सला हॉस्पिटल से जिलाधिकारी कार्यालय तक मशाल जुलूस निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन अरविंद को अरविंद कुरील संयोजक के नेतृत्व में सौंपा! जुलूस निकालकर कहा कि डाकू कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं के समाधान लगातार प्रयास किए जाने पर शासन स्तर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव प्रमुख सचिव वित्त विभिन्न स्तरों पर हुई बहुत सी बैठक के बाद भी संयुक्त मोर्चा के घटक संगठनों के विभागीय कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान नहीं हुआ इन परिस्थितियों में संयुक्त मोर्चा द्वारा गत दिनों आंदोलन के क्रम में प्रदेश भर के मंत्री गण विधायकों विधान परिषद सदस्य गणों की मांगों के ज्ञापन का प्रेषित करते हुए मुख्यमंत्री का ध्यानाकर्षण भी कराया जा चुका है परंतु खेद है कि प्रदेश सरकार शासन द्वारा अभी तक कोई संज्ञान ना लिए जाने के कारण प्रदेश के कर्मचारियों का आंदोलन होना स्वाभाविक है! प्रमुख रूप से पुरानी पेंशन बहाली की जाए सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के उपरांत व्याप्त वेतन विसंगतियां दूर की जाएं 1 जनवरी 2020 से दिनांक 31 जुलाई 2021 तक फ्रिज महंगाई का एरियल दिया जाए एवं परिवार नियोजन सीसीए सहित बंद किए गए अन्य समस्त भक्ति बाहर किए जाएं यदि हमारी बातें नहीं मानी गई तो 8 दिसंबर से 9 दिसंबर के मध्य रात्रि सभी राज्य कर्मचारी, सफाई कर्मी, स्वास्थ विभाग, रोडवेज आदि विभाग चक्का जाम करके अपना आक्रोश जाहिर करेंगे! गुरु से प्रमुख रूप से मंडल अध्यक्ष रमाकांत मिश्रा मंडल संयोजक अरविंद कुरील राजेंद्र सिंह पटेल आशीष दीक्षित शैलेंद्र त्रिवेदी के पी सिंह गुर्जर युसूफ अली इंतखाब मुन्ना हजारिया निधि पांडे नीलू निगम रेनू द्विवेदी देवीदीन प्रमिला श्रीवास्तव आदि लोग मौजूद रहे!

دستور ہند میں دئے گئے مذہبی آزادی کے حقوق کے تئیں عوام کو بیدار کرنا وقت کی اہم ضرورت: مولانا امین الحق عبد اللہ قاسمی

مسلم پرسنل لاء بورڈ کے اجلاس کے کامیاب انعقاد پر منتظمین و معاونین کو جمعیۃ علماء کانپور کی مبارکباد



کانپور:۔ ملک و ملت کے حالات کو صحیح طور پر سمجھ کر امت کی رہنمائی کرنا ہر دور میں امت کے قائدین، علماء و دانشوران کی ذمہ داری رہی ہے۔موجودہ دور میں مسلمانان ہند کی نمایاں تنظیمیں، قائدین اور دیگر مقتدر شخصیات اخلاص کے ساتھ امت کی ہمدردی اور خیر خواہی کا جذبہ اپنے دل میں لے کر اپنے اپنے سطح پر میدان عمل میں مصروفہیں جن میں جمعیۃ علماء ہند اور مسلم پرسنل لاء بورڈ نمایاں مقام رکھتے ہیں۔ اسی ضمن میں مسلم پرسنل لاء بورڈکی مجلس منتظمہ کا اجلاس 20، 21نومبر بروز سنیچر،اتوار کو جاجمؤ واقع مدرسہ دار التعلیم والصنعت میں منعقد ہوا۔ جس کی کامیابی کا سہرا اجلاس کے منتظم اور روح رواں مدرسہ جامع العلوم پٹکاپور کے مہتمم الحاج محی الدین تاج خسرو صاحب کے سر جاتا ہے۔مذکورہ خیالات کااظہار کرتے ہوئے جمعیۃ علماء اتر پردیش کے نائب صدراوراس اجلاس کی مجلس استقبالیہ کے رکن مولانا امین الحق عبد اللہ قاسمی اور نے کہاکہ جس منظم انداز میں خوش اسلوبی کے ساتھ یہ اجلاس منعقد ہوا اس کیلئے جمعیۃ علماء کانپور الحاج محی الدین خسرو تاج صاحب اور ان کی پوری ٹیم کو مبارکباد پیش کرتے ہوئے اللہ سے دعاگو ہے کہ ان حضرات کا سایہ عاطفت دراز فرمائے اور ہم چھوٹوں کو اپنے بڑوں کی قدر کرنے اور ان کے تجربات سے فائدہ اٹھانے کی توفیق عطا فرمائے۔
مولانا امین الحق عبد اللہ قاسمی نے مسلم پرسنل لاء بورڈ کے27ویں اجلاس میں پاس ہوئیں تجاویز کی روشنی میں کہا کہ جمعیۃ علماء کا ہر دور میں موقف رہا ہے کہ شرعی قوانین اور مذہبی حقوق میں کسی بھی قسم کی مداخلت ناقابل قبول ہے اور مداخلت کی کوششیں خواہ وہ کسی بھی حکومت، ادارے یا تنظیم کی جانب سے کی گئیں ہو وہ ناقابل برداشت ہے۔ مولانا عبد اللہ نے مذہبی رہنماؤں کی شان میں گستاخی، ملک کے مختلف حصوں میں واقع تاریخی حیثیت رکھنے والی مساجد اور عیدگاہوں سے متعلق شر انگیزی پر روک لگانے کیلئے سخت اقدام اٹھانے کے مطالبہ کی بھرپورتائید کرتے ہوئے یہاں کی اقلیتوں کی جان، مال، عزت و آبرو کی حفاظت کے ساتھ ماب لنچنگ جیسی وحشیانہ وارداتوں پر روک لگانے کیلئے مؤثر اقدامات کرکے مجرمین کے خلاف سخت کارروائی یقینی بنانے کے مطالبے کو ضروری قرار دیا۔ آخر میں مولانا نے کہا کہ یکساں سول کوڈ کے نقصانات، سوشل میڈیا پر ہو روہی فرقہ واریت اور اشتعال انگیزی پر قدغن لگانے اور دستور ہند میں ملک کے ہر شہری کو دئے گئے مذہبی آزادی کے حقوق کے تئیں عوام کو بیدار کرنے کیلئے جلد ہی جمعیۃ علماء مستقل تحریک چلاتی رہی ہے اور جو بھی تنظیمیں اس سلسلے میں کوشش کررہی ہیں، جمعیۃ علماء اس کی تائید کرتی ہے۔ 

वैश्य महासंगठन की विशेष सभा आयोजित

कानपुर। वैश्य महा संगठन की एक विशेष सभा कानपुर में आयोजित की गई। जिसमें आने वाले चुनावों के चलते संगठन को मजबूत व महती भूमिका निर्वाहन के लिए कई विषयों पर विचार विमर्श किया गया। अध्यक्ष सिद्धार्थ काशीवार ने वैश्य समाज की महती परेशानियों को उजागर करते हुए कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए आर्थिक सहयोग देने वाला वैश्य समाज हर पार्टी से आज तक उपेक्षित ही रखा गया है। इस सभा में प्रमुख रूप से अरविंद गुप्ता सुनील अग्रवाल सहित तमाम व संगठन के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम चमनगंज मे उर्स महबूबे इलाही मनाया गया

कानपुर :अल्लाह के मुक़द्दस वली हज़रत ख्वाजा सैयद निज़ामुददीन औलिया महबूबे इलाही रजि अल्लाहो अन्हु के उर्स मुबारक पर खिराजे अकीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम चमनगंज मे उर्स महबूबे इलाही मनाया गया इस मौक़े पर तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफरी ने उनकी जिन्दगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि हज़रते ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया महबूबे इलाही रजि अल्लाहु अंहु की विलादत (पैदाईश) बदायूँ शरीफ में 27 सफर 636 हिजरी में हुई, वालिदे माजिद का नाम अहमद बिन अली था, आपका ख़ानदान बुख़ारा से हिजरत करके यहाँ आया था, जब उम्र शरीफ 5 साल हुई तो वालिदे ग्रामी का साया सर से उठ गया, फिर वालिदा करीमा ने आपकी मुकम्मल परवरिश फरमाई, आपने बहुत छोटी सी उम्र में बहुत से उलूम व फुनून पर दस्तरस हासिल कर ली, 16 साल की उम्र में दिल्ली आ गए, और आखिर उम्र तक यहीं तब्लीग़ का काम करते रहे, आपके ख़ुल्फा में हज़रत ख़्वाजा बुरहानुद्दीन ग़रीब, हज़रत शैख़ नसीरुद्दीन महमूद चिराग़ देहलवी, हज़रत मौलाना शमसुद्दीन यहया, हज़रत  शैख़ क़ुतबुद्दीन मुनव्वर हाँस्वी, हज़रत शैख़ हुसामुद्दीन मुल्तानी, हज़रत मौलाना फख़रुद्दीन ज़रादी,हज़रत मौलाना अलाउद्दीन और हज़रत मौलाना शहाबुद्दीन रजि अल्लाहु अन्हुमा नामी ग्रामी मशाएख़ गुज़रे हैं

आप बड़े ही आबिद व ज़ाहिद, बा जमाल व बा कमाल, हुस्ने अख़्लाक़ का मुजस्समा, औसाफे जलीला का सरापा होने के साथ बा करामत वली थे

एक दिन सख़्त बारिश हो रही थी, अंधेरी रात थी, आपने अपने एक ख़ादिम को बुला कर फरमाया कि जमुना के उस पार एक क़ुतुब बैठे हैं जाओ उन्हें खीर दे आओ

ख़ादिम ने अर्ज़ की हुज़ूर! जमुना जोश पर है, कश्ती भी नहीं है, मैं कैसे जाऊँ?

फरमाया जाओ और जमुना से कहना मुझे उसने भेजा है जो कभी अपनी बीवी के पास नहीं गया, जमुना रास्ता दे देगा

ख़ादिम हैरत में पड़ गया कि आप तो साहिबे औलाद हैं तब एैसा क्यूँ बोल रहे हैं?

मगर अदब में कुछ ना कहा और चल दिया, दरिया से वही कहा तो उसने रास्ता दे दिया

उस पार जाकर उस क़ुतुब को खीर खिला कर जब वापसी का इरादा किया तो उस क़ुतुब ने फरमाया कि अगर दरिया भरा हो तो उससे कह देना मैं उसके पास से आ रहा हूँ जिसने कभी कुछ नहीं खाया पिया

ख़ादिम फिर हैरत में पड़ गया कि अभी मैंने ही खिलाया है फिर भी यह एैसी बातें कर रहे हैं

ख़ैर दरिया पर आकर वही कहा तो दरिया ने रास्ता दे दिया

अब ख़ादिम से सब्र ना हुआ अपने मुर्शिद महबूबे इलाही से पूछा हज़ूर! जो आपने फरमाया और जो उन्होने फरमाया वह ब ज़ाहिर सच नहीं लगता लिहाज़ा इसकी वज़ाहत फरमाएँ

तो आपने फरमाया कि यह सच कि ना मैं कभी अपनी बीवी के पास (अपने नफ्स के लिये) गया और ना ही उस क़ुतुब ने कभी कुछ खाया पिया( सिर्फ पेट भरने के लिये) हमारा हर काम सिर्फ अपने मौला की रज़ा के लिये होता है

आपका विसाल 18 रबीउल आखिर 725 हिजरी में नई दिल्ली में हुआ, और वहीं मज़ारे मुबारक है जहॉ बड़ी तादाद मे अक़ीदतमंद हाजिर होते है हज़रते महबूबे इलाही की शान यह है कि अगर आपके गुस्ल का पानी मराज़ो के जिस्म पर पड़ जाए तो उसे शिफा मिल जाए और आज भी आपके मज़ार के गुस्ल का पानी जो भी शिफा की नियत से इस्तेमाल करे तो उसे शिफा मिल जाती है इस मौक़े पर महबूबे इलाही का क़ुल शरीफ हुआ और दुआ की गई फिर शीरनी तक़सीम हुई इस मौके पर हाफिज़ इरफान रज़ा क़ादरी, हाजी हस्सान अज़हरी,हयात ज़फर हाशमी, मोहम्मद इलियास गोपी, शादाब रज़ा, मोहम्मद जाफरी आदि लोग मौजूद थे!

विश्व में भारत का सम्मान बढ़ाने वाले महान विचारक काशीप्रसाद

27 नवंबर: डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल की 141जयंती पर विशेष

-अजय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ  (9335566111)

     धन्य है उत्तर प्रदेश का जिला मिर्जापुर जिसकी मिट्टी में डाक्टर काशीप्रसाद जैसी महान विभूति ने जन्म लेकर देश की ख्याति और गंगा-जमुनी संस्कृति को विश्व पटल पर नई ऊंचाइयां प्रदान की थीं, जिसकी वजह से सम्पूर्ण मानव जाति को गौरव प्रदान हुआ। ऐसे महान विचारक-लेखक और अर्थशास्त्री  डाक्टर काशीप्रसाद का जन्म 27 नवम्बर 1881 को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक धनी व्यापारी परिवार में हुआ था। डा. काशी प्रसाद जायसवाल मिर्जापुर के प्रसिद्ध रईस साहु महादेव प्रसाद जायसवाल के पुत्र थे। काशीप्रसाद जायसवाल का जीवनकाल बहुम लम्बा नहीं रहा था और मात्र 56 साल की उम्र में 04 अगस्त 1937 को काशीप्रसाद की मृत्यु हो गई थी। बीसवीं सदी में जिन भारतीय विद्वानों ने विमर्श की दिशा को प्रभावित करने में अग्रणी भूमिका निभाई, उनमें काशी प्रसाद जायसवाल (1881-1937) अग्रणी हैं. उनके जीवन के कई आयाम हैं और कई क्षेत्रों में उनका असर रहा है।

     अपने छोटे से जीवनकाल में डा0 काशीप्रसाद जायसवाल ने बड़ी ऊंचाई हासिल की। जायसवाल के जीवनदर्शन को लेकर उनके शिष्यों, मित्रों की न केवल अनेक संकलित रचनाएं प्रकाशित हुईं, बल्कि उन पर न जाने कितने शोध-प्रबंध और किताबें और लेख लिखे गए। अनगिनत सभाएं, संगोष्ठी, कार्यक्रम बदस्तूर जारी हैं। जायसवाल युग-निर्माताओं में से एक थे और अपने कृतित्व के आधार पर आज भी बेजोड़ हैं। इतिहास उनके कार्यों की समीक्षा और पुनर्पाठ तो करेगा ही, लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि ज्ञान की दुनिया में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त काशीप्रसाद जायसवाल का क्या हुआ? क्या वे फ़ुट नोट्स और इतिहास के पन्नों में दबा दिए गए? क्या इतिहास और साहित्य के मठाधीशों ने जायसवाल के मामले में कोई ‘सामाजिक-लीला’ की है? यह सवाल तो बनता ही है। काशीप्रसाद ने देश और समाज को जो दिया, वह बिरले ही दे पाते हैं, लेकिन इनके बदलें में उन्हें वह सम्मान मिला,जिसके वह हकदार थे ? यह एक यक्ष प्रश्न है, इसीलिए तमाम बुद्धिजीवी और जायसवाल समाज लगातार काशीप्रसाद को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मांग कर रहा है।

     तमाम विद्याओे में निपुण डाक्टर काशीप्रसाद जायसवाल सामाजिक रूप से हिन्दू-मुस्लिम-एकता को जरूरी समझते थे। उनका मत था कि ताली एक हाथ से नहीं, बल्कि दोनों हाथ से बजती है। क्योंकि अधिकांश हिन्दू साहित्यकार अपने उपन्यासों में मुसलमानों को अत्याचारी और हिन्दुओं को सदाचारी के रूप में चित्रित कर रहे थे, इसलिए काशी प्रसाद इस कृत्य को राष्ट्रीय एकता में बाधक के रूप में देख रहे थे। काशी प्रसाद के व्यक्तित्व की व्याख्या उनके संबंधियों, मित्रों, विरोधियों और विद्वानों ने अपने-अपने हिसाब की की थी। कोई उन्हें घमंडाचार्य’ और ‘बैरिस्टर साहब’ (महावीरप्रसाद द्विवेदी) तो कोई ‘कोटाधीश’ (रामचंद्र शुक्ल),‘सोशल रिफ़ॉर्मर’ (डॉ. राजेन्द्र प्रसाद), ‘डेंजरस रेवोलूशनरी’ और तत्कालीन भारत का सबसे ‘क्लेवरेस्ट इंडियन’ (अंग्रेज शासक), ‘जायसवाल द इंटरनेशनल’ (पी. सी. मानुक) ‘विद्यामाहोदधि’ (मोहनलाल महतो ‘वियोगी’) और ‘पुण्यश्लोक’ (रामधारी सिंह ‘दिनकर’) की उपमा से सुशोभित करता था।

     काशी प्रसाद जायसवाल  की आरंभिक शिक्षा मिर्ज़ापुर, फिर बनारस और इंग्लैंड में (1906-10) हुई. इंग्लैंड में अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने तीन डिग्रियां प्राप्त कीं. इसमें लॉ और इतिहास (एम.ए.) के अलावा चीनी भाषा की डिग्री शामिल थी। जायसवाल पहले भारतीय थे, जिन्हें चीनी भाषा सीखने के लिए 1,500 रुपए की डेविस स्कालरशिप मिली। जायसवाल की सफलता के संबंध में महावीरप्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती में कई संपादकीय टिप्पणियां और लेख लिखे। इंग्लैंड में काशीप्रसाद का संपर्क वी.डी. सावरकर, लाल हरदयाल जैसे ‘क्रांतिकारियों’ से हो गया था, जिसकी वजह से वे औपनिवेशिक पुलिस की नज़र में चढ़े रहे। गिरफ़्तारी की आशंका को देखते हुए, काशीप्रसाद जल-थल-रेल मार्ग से यात्रा करते हुए 1910 में भारत लौटे और यात्रा-वृतांत तथा संस्मरण सरस्वती और मॉडर्न रिव्यू में प्रकाशित किया। वे पहले कलकत्ता में बसे और फिर 1912 में बिहार बनने के बाद 1914 में हमेशा के लिए पटना प्रवास कर गए। उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में आजीवन वकालत की। वे इनकम-टैक्स के प्रसिद्ध वकील माने जाते थे। दरभंगा और हथुआ महाराज जैसे लोग उनके मुवक्किल थे और बड़े-बड़े मुकदमों में काशीप्रसाद प्रिवी-कौंसिल में बहस करने इंग्लैंड भी जाया करते थे।

     काशी प्रसाद कई भाषाओं के जानकार थे। वह संस्कृत, हिंदी, इंग्लिश, चीनी, फ्रेंच, जर्मन और बांग्ला भाषा पर पूरा कमांड रखते थेे। लेकिन अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार वे हिंदी और अंग्रेजी में ही लिखते थे। अंग्रेजी बाह्य जगत के पाठकों और प्रोफेशनल इतिहासकारों के लिए तथा हिंदी,स्थानीय पाठक और साहित्यकारों के लिए। काशीप्रसाद ने लेखन से लेकर संस्थाओं के निर्माण में कई कीर्तिमान स्थापित किए। दर्ज़न भर शोध-पुस्तकें लिखीं और सम्पादित कीं, जिसमें हिन्दू पॉलिटी, मनु एंड याज्ञवलक्य, हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया (150 ।क् जव 350 ।क्) बहुचर्चित रचनाएं हैं।

     काशीप्रसाद ने हिंदी भाषा और साहित्य तथा प्राचीन भारत के इतिहास और संस्कृति पर तकरीबन दो सौ मौलिक लेख लिखे, जो प्रदीप, सरस्वती, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, जर्नल ऑफ़ बिहार एंड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, इंडियन एंटीक्वेरी, द मॉडर्न रिव्यू, एपिग्रफिया इंडिका, जर्नल ऑफ़ द रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड, एनाल्स ऑफ़ भंडारकर (ओरिएण्टल रिसर्च इंस्टिट्यूट), जर्नल ऑफ़ द इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओरिएण्टल आर्ट, द जैन एंटीक्वेरी इत्यादि में प्रकाशित हैं।

     जायसवाल ने मिर्ज़ापुर से प्रकाशित कलवार गज़ट (मासिक, 1906) और पटना से प्रकाशित पाटलिपुत्र (1914-15) पत्रिका का संपादन भी किया और जर्नल ऑफ़ बिहार एंड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी के आजीवन संपादक भी रहे। इसके अलावा अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण व्याख्यान दिए जिनमें टैगोर लेक्चर सीरीज (कलकत्ता,1919), ओरिएण्टल कॉफ्रेस(पटना / बड़ोदा, 1930/ 1933),रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन (1936, पहले भारतीय, जिन्हें यह अवसर मिला), अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मलेन, इंदौर (1935) इत्यादि महत्वपूर्ण हैं। नागरी प्रचारिणी सभा, बिहार एंड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी, पटना म्यूजियम और पटना विश्वविद्यालय जैसे महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना से लेकर संचालन तक में जायसवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

     डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल ने ‘पाटलिपुत्र’ पत्र के संपादक भी रहे, बिहार एण्ड ओडीशा रिसर्च सोसायटी के जनक, निबंधकार, विचारक, ‘हिंदू पालिटी’(ए कांस्टीट्यूशनल हिस्ट्री आफ इंडिया इन हिंदू टाइम्स), ’मनु और याज्ञवल्क्य’, ’एन इंपीरियल हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ (फ्रॉम 700 बीसी टू 770 एडी),’ए क्रोनोलॉजी एंड हिस्ट्री ऑफ नेपाल’,’हिस्ट्री ऑफ इंडिया’(150 एडी टू 350 एडी) के लेखक, आलोचक, विचारक, काशीप्रसाद का जीवन और व्यक्तित्व देशभक्ति की भावनाओं से रंगा-भरा हुआ था। अंग्रेज लोग महान काशी प्रसाद जायसवाल को ’क्लेवरेस्ट इंडियन’ मानते थे और उनको ’डेंजरस रिवॉल्यूशनरी’ कहते थे। 

     भारतीय दर्शन, इतिहास, भाषा-साहित्य, सभ्यता-संस्कृति व धर्म के गौरवशाली अतीत को काशीप्रसाद ने जिस प्रखरता से उभारा है, उस तरह की प्रखरता अभी तक कोई दूसरा साहित्यकार या इतिहासकार नहीं उजागर कर पाया है। शायद, इसलिए ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी, व पद्मभूषण से सम्मानित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपने संस्मरण और ‘श्रद्धां- जलियां’ नामक पुस्तक में लिखा है कि सूर्य, चंद्र, वरुण, कुबेर, वृहस्पति भी डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल जी की बराबरी नहीं कर सकते। एक अन्य साहित्य अकादमी तथा पद्मभूषण से विभूषित प्रख्यात साहित्यकार डॉ अमृतलाल नागर ने तो यहां तक कहा है कि अगर उन्हें चंद घड़ी के लिए हिंदुस्तान का बादशाहत मिल जाए तो वे हिंन्दुस्तान की तकदीर और तकदीर बदल सकते हैं।

     टाइम्स आफ इंडिया के 31 अगस्त, 1960 के अंक में प्रकाशित एक समाचार से यह भी पता चलता है कि भारत सरकार ने सन् 1961 में कुछ विशिष्ट महापुरूषों के सम्मान में विशेष डाक टिकटों को जारी करने का निर्णय लिया है। उन महापुरूषों में एक नाम प्रसिद्ध इतिहासकार डा.काशी प्रसाद जायसवाल का भी था। प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृतलाल नागर ने कहा है कि यदि मुझे पीर मोहम्मद चिश्ती की भांति तीन घंटे की बादशाहत मिल जाए, तो मैं गाँव-गाँव के मंदिरों में डा. काशी प्रसाद जायसवाल की मूर्तियाँ स्थापित करने का आदेश प्रसारित कर दॅू।

जुलूस-ए-ग़ौसिया में हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री की शिरकत की अपील

कानपुरः पीराने पीर दस्तगीर शहंशाहे बग़दाद सरकार गौस--आज़म शेख मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी बग़दादी रजि अल्लाहु अन्हु की याद में निकलने वाले जुलूस--गौसिया में तन्ज़ीम बरेलवी उलमा--अहले सुन्नत के सदर सुन्नी जमीयत उलेमा के नायब सदर हाफिज क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने गुलामाने गौसे आज़म से शिरकत की अपील की है शहर कानपुर का क़दीमी मरकज़ी जुलूस--गौसिया कर्नलगंज के नीची सड़क से बाद नमाज़े ज़ोहर (दोपहर 2:00) निकलेगा। इसी तरह बाबूपुरवा, फेथफुलगंज, शुजातगंज, जुही लाल कालोनी, जाजमऊ, शारदा नगर,रावतपुर, मछरिया समेत अन्य जगहो से भी हर साल की तरह इस साल भी जुलूस--गौसिया अपने क़दीमी रास्तो से निकलेगा। हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री ने जुलूस मे शामिल सभी गुलामाने गौसे आज़म से गुज़ारिश की है आप लोग जुलूस मे बावज़ू और बाअदब होकर चलें। इस्लामी लिबास पहनकर खुश्बू लगाकर जुलूस मे शामिल हो। जुलूस मे नात मनक़बद दरूदो सलाम का नज़राना पेश करते चलें जुलूस मे शामिल सभी लोग अपनी अपनी जिम्मेदारी को अंजाम दें। लंगर तकसीम करने वाले लोग लंगर फेककर दे बल्कि हाथो मे दें।

हाफिज फैसल जाफरी के अलावा तन्ज़ीम के सरपरस्ते आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी, सरपरस्त मौलाना नय्यरूल कादरी, मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बाही, मुफ्ती काजिम रजा ओवैसी, मौलाना मोहम्मद उमर कादरी, मौलाना हस्सान कादरी, मौलाना जहूर आलम अज़हरी, कारी इम्तियाज अहमद कादरी, कारी मोहम्मद असलम बरकाती, मौलाना मोहम्मद सालिम मिस्बाही, हयात ज़फ़र हाशमी, कारी कलीमुल्लाह क़ादरी, मौलाना मोहम्मद मेराज, हाफिज फुजैल रजवी, हाफिज जुबैर कादरी, हाफिज शौकत अली, हाफिज वाहिद अली रजवी, मौलाना मुबारक अली फैज़ी, हाफिज़ हसरत अली,कारी आदिल अज़हरी, हाफिज इरफान कादरी, मौलाना इरफान कादरी, हाफिज तन्वीर निजामी,हाफिज अकबर ओवैसी, कारी वारिस बरकाती, हाफिज मोहम्मद शोएब, हाफिज अय्यूब, हाजी हस्सान अज़हरी, महबूब गुफरान अज़हरी, वसीमुल्लाह रज़वी, कमालुद्दीन, हैदर अली, मुहम्मद तारिक, मोहम्मद इलियास गोपी, मोहम्मद ईशान,शादाब रज़ा, अब्दुस्सलाम, मोहम्मद मोईन जाफरी आदि ने भी जुलूस--गौसिया मे गुलामाने गौसे आज़म से शिरकत की अपील की है

जश्ने ग़ौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का दसवॉ जलसा हीरामन पुरवा में आयोजित

कानपुर। पीराने पीर दस्तगीर सरकार गौस-ए-आज़म शेख मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रजि अल्लाहो अन्हु की बारगाह में खिराजे अक़ीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम आठवाँ सालाना ग्यारह रोज़ा इजलास जश्ने गौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का सिलसिला जारी है जिसका दसवॉ जलसा हीरामन पुरवा मस्जिद हाजी दानु में हुआ। जिसकी सरपरस्ती तन्ज़ीम के सरपरस्त-ए आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी व सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की। मौलाना मुर्तज़ा हुसैन शरीफी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि गौस-ए-आज़म को अल्लाह पाक ने बेपनाह फज़्लो कमाल से नवाज़ा कोई मंगता भी आपके दर से खाली न गया हर एक की आपने मदद की। आपकी वालिदा क़ुरआन पाक की तिलावत करती है आप अपनी मॉ के पेट मे है जब आपकी विलादत (पैदाईश)  हुई तो आपको कुरआन पाक के 18 पारे हिफ़्ज़(बिना देखे) थे इसीलिए दौराने हमल औरतो को बहुत एहतियात करना चाहिए नमाज़ और कुरान की तिलावत करना चाहिए। बुराईयो से बचना चाहिए जैसा काम औरत करेगी उसका असर उस बच्चे मे पड़ता है मौलाना ने आगे कहा कि एक बार गौसे आज़म एक दरिया के रास्ते से गुज़र रहे थे तो देखा एक उर्म दराज़ औरत दरिया के पास आंसू बहा रही है आपने पूछा क्या बात है उस औरत ने कहा कि मेरा बेटा व बाराती यह सब दरिया मे डूब गये है जिसको 12 साल हो गये है रोज़ाना इन्तिज़ार करती हूं कि कोई अल्लाह वाला आएगा और मेरे बेटे की डूबी हुई कश्ती को बाहर निकालेगा आपने फरमाया परेशान मत हो आपने अल्लाह की बारगाह मे दुआ की, थोड़ी देर बाद ज़माने ने देखा कि 12 साल पहले की डूबी हुई कश्ती दरिया के ऊपर तैरती दिखी यह देखकर उस औरत के चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई और उनका बेटा व सभी बाराती सही सलामत दरिया से बाहर आ गए। 

इस पर बरेली शरीफ के शहज़ाद-ए-आला हज़रत हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द फरमाते हैै कि (जो डूबी थी कश्ती वह दम मे निकाली,तुम्हे ऐसी क़ुदरत मिली गौसे आज़म) यह ताक़त अल्लाह ने गौसे आज़म को अता फरमाई। इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते कुरान पाक से हाफिज़ मोमिन ने किया और निजामत दिलकश रज़ा ने की। मौलाना मोहम्मद मेराज, मोहम्मद एजाज़ ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तक़्सीम की गई। इस मौके पर मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी, मौलाना मोहम्मद शाकिर, भैया भाई, मुन्ना भाई, मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद फहीम, छोटू आदि लोग मौजूद थे। 

इसी तरह तन्ज़ीम का ग्यारहवां जलसा प्रेम नगर गुरुद्वारा के पास आयोजित हुआ, जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की। मौलाना आदिल रज़ा अज़हरी ने सरकार गौसे आजम की सीरत बयान की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ इस मौक़े पर खत्म-ए-क़ादिरया का भी एहतिमाम किया गया। हाफिज इरफान कादरी, हाफिज मुशर्रफ, हाफिज सकलैन, हाफिज अय्यूब, मोहम्मद शादाब रज़ा, मोहम्मद शारिक मंत्री, अब्दुस्सलाम आदि लोग मौजूद थे।

कैन्ट में जुलूसे गौसिया परंपरागत रास्तों से निकाला जाएगा

कानपुर। कल दिनांक 17 नवंबर 2021 को हर साल की तरह इस साल भी अंजुमन फिदा याने मुस्तफा कमेटी की जानिब से समय 2.00 दिन मस्जिद दीन मोहम्मद सौदागर फेथफुलगंज, मीरपुर से जुलूस ए गौसिया निकाला जाएगा जो अपने परंपरागत रास्तों से होते हुए वापस दीन मोहम्मद सौदागर मस्जिद चौराहे पर सलातो सलाम पढ़ने के बाद समापन होगा। इस जुलूस की कयादत शहर काजी कानपुर मौलाना मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही करेंगे। इसी के साथ शहर काजी सुजातगंज मरकजी जुलूस कमेटी की जानिब से उठने वाले जुलूस में शिरकत, रावतपुर से उठने वाले जुलूस में शिरकत, ईदगाह कॉलोनी बकरमंडी से उठने वाले जुलूस में शिरकत करेंगे।

महबूब आलम खान -7275291913

हर दिल अजीज काजी शहर मौलाना आलम रजा खान नूरी का सालाना उर्स 21 नवंबर को

कानपुर , शरई दारुल काजा मदरसा एहसान उल मदरिस जदीद रजवी रोड पर साबिक शहर काजी कानपुर मौलाना मोहम्मद आलम रजा खान नूरी के सालाना उर्स की तैयारियों को लेकर मीटिंग का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शहर काजी मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही ने की मीटिंग में मौजूद नायब शहर काजी कारी सगीर आलम हबीबी व महामंत्री महबूब आलम खान ने कहा  कि शहर काजी नूरी साहब की खिदमत को भुलाया नहीं जा सकता उन्होंने कानपुर शहर ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में इंसानियत की खिदमत की शहर व प्रदेश को हमेशा रात दिन अपनी सेवाएं प्रदान की जिससे कानपुर शहर से उनका सद्भावना एकता का पैगाम पूरी दुनिया में जाता था उन्हें आबरू अहले सुन्नत के खेताब से नवाजा गया उन्होंने अहले सुन्नत वल जमात की रहनुमाई करते हुए पूरे मुल्क में सुन्नियत को मजबूत किया ।पिछले साल वह हम सब से दूर अपने रब से जा मिले जिसके 1 साल पूरा होने पर 21 नवंबर 2021 दिन रविवार बड़ी मस्जिद (मस्जिद शहर क़ाज़ी नूरी) ओमपुरवा महताब नगर चकेरी रोड कानपुर  में उनके सालाना फातिहा के मौके पर उर्से काइद ए मिल्लत


बनाम यौमे आबरू ए अहले सुन्नत मनाया जा रहा है जिसको लेकर विभिन्न तरह की तैयारियां चल रही है यह भी बताया गया कि इस दिन विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा उल्मा ए किराम व शोरा से राब्ता जारी है। मीटिंग का संचालन मुफ्ती शहर रफी अहमद निजामी ने किया मीटिंग में मुख्य रूप से शहर काजी मुफ्ती साकिब अदीब मिस्बाही कारी मोहम्मद सगीर आलम हबीबी मुफ्ती रफी अहमद महबूब आलम खान मोहम्मद हाशिम मैनेजर इस्लाम खान चिश्ती मौलाना बिलाल हशमती मौलाना इरफान मिस्बाही मौलाना जुनैद बरकाती इस्लाम खान आजाद हाफिज कफील हुसैन खान खलीफा पैक मौलाना सुलेमान हाफिज मेराज हाफिज इमरान बरकाती आदि लोग मौजूद थे!

निशुल्क नेत्र ऑपरेशन शिविर का कैम्प आयोजित


रोटरी क्लब कानपुर इलीट रोटरी क्लब कानपुर शौर्य के सयकं तत्वाधान व H L M G मीडिया ग्रुप के सहयोग मे एक नेत्र निशुल्क ऑपरेशन शिविर का कैम्प स्थानीय सुतर खाने मे आयोजित किया डॉक्टर जवाहर लाल रोहतगी नेत्र चिकित्सालय की टीम ने रोगियों की जांच की कैम्प मे 110, ओ पी डी की लगभग 11, ऑपरेशन के मरीज इस अवसर पर रोटरी मंडला अध्यक्ष मुकेश सिंघल व मंडल अजय जैन ने शिविर का निरीक्षण किया व वास्तिविक मनावमता की धौर्य की पहचान दी शिविर में रोटरी क्लब कानपुर इलीट अनुराग पांडेय प्रीति बग्गा अमित अग्रवाल नैना सिंह शुभम ओमर सहित शौर्य के अध्यक्ष एम के अग्रवाल अमिताभ गुप्ता सहित कैंट के पार्षद मो फारूख पूर्व विधायक हाफिज उमर मो अशरफ एडवोकेट शाहरुख वारसी प्रेस रिपोर्टर की उपसस्थिति रही अतिथियों का स्वागत डॉक्टर तौहीद अहमद लिम ने किया शिविर का संचालन पूर्व अध्यक्ष अश्विनी दीक्षित ने किया

चाचा नेहरू का जन्म "बाल दिवस" के रूप में मनाया गया

 


कानपुर। टेण्डरफुट माडल स्कूल चमनगंज कानपुर में आज देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का 132वाँ जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम का आरम्भ आकिब ने तिलावते कलाम पाक से किया। इस मौके पर मो० हरम हम्माद ने बारगाहे रिसालत में नात शरीफ पेश की।

इस अवसर पर स्कूल के नन्हें मुन्हें बच्चों ने बेबी शो, फेन्सी ड्रेस व वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया व रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया इस अवसर पर बच्चों ने चाचा नेहरू की जीवनी पर रोशनी डाली। यह हकीकत है कि पं० नेहरू बच्चों से बहुत प्यार करते थे और उनके उज्जवल भविष्य के लिये बेहतर करने की कोशिश करते थे उनके कार्यकाल में शिक्षा के होड़ थे उनका भरपूर योगदान रहा है आज भी सरकार स्कूली बच्चों पर सहायता प्रदान कर रही है और छात्रों को आगे बढ़ने में भरपूर हर संभव मदद कर रही है।समारोह की मुख्य अतिथि  हयात ज़फर हाशमी ने अपने सम्बोधन में बच्चों के कार्यक्रम देखकर उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की।समारोह के अतिथि हयात जफर हाशमी ने अपने सम्बोधन में कहा कि यही बच्चे आगे चलकर देश का नेतृत्व करेंगे और उनके उज्जवल भविष्य की शुभ कामनायें दीं। समारोह की अध्यक्ष  फौजिया रिजवान ने की। इस मौके पर तमाम प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और सभी बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया समारोह का संचालन हेमा खान ने किया।

अन्त में एस०के० रिजवान ने कार्यक्रम में अपने उन सभी मेहानों का शुक्रिया।समारोह का समापन राष्ट्रीयगान गाकर किया गया।समारोह में मुख्य रूप से  खुर्शिदा बेगम, मन्तशा परवीन, मरशला, शाइस्ता, सिम्मी शबिस्ता, दरक्शा व अन्य लोग उपस्थित रहे।

कानपुर इनकम टैक्स बार एसोसिएशन टैक्स की जानकारी के लिये आयकर भवन में एक संगोष्ठी की

 

बिक्री पर कर व्यवस्था विषय पर आयोजित टैक्स गोष्ठी को संबोधित करते हुए चेयरमैन दिनेश चंद्र शुक्ला द्वारा बताया गया कि यदि किसी अनिवासी भारतीय से किसी भी संपत्ति की खरीद पर कर रहे हैं तो उनको अत्यंत सावधानी की आवश्यकता है क्योंकि इस हेतु अनिवासी को किए जाने वाले भुगतान पर आपको आयकर अधिनियम की धारा 195 के अंतर्गत 20% या अधिक टीडीएस कटौती करनी पड़ सकती है जो कि एक सामान्य भारतीय नागरिक से मात्र 1% ही करनी होती है ऐसी सूरत में कम टीडीएस कटौती की स्थिति में खरीदार को टीडीएस का भुगतान अपनी जेब से करना होगा।

गोष्ठी में प्रमुख रूप से प्रदीप मल्होत्रा शैलेंद्र सचान नवीन भार्गव गोविंद कृष्ण राजेश मेहरा अनिल साहू शैलेश शाह अलिंद्र पी गुप्ता एमके शुक्ला हरिराम अग्रवाल आदि ने भाग लिया

मौलाना आजाद जयंती के अवसर पर एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल ने कानपुर में लॉन्च किया नेशनल टैलेंट सर्च एप


आज दिनांक 11 नवंबर 2021 को एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल कानपुर की टीम द्वारा नेशनल टैलेंट सर्च एप का पोस्टर लॉन्च खिदमत ए इंसानी फाउंडेशन परेड कानपुर में  किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि रूप में शहर काजी हाफिज कुद्दुस हादी साहब, समाज सेवक शाहिद कामरान जी,  मौजूदगी में कानपुर हेड अबरार अली व सेक्रेट्री अशफ़ाक सिद्दिकी ने ए एम पी का नेशनल टैलेंट सर्च एप का पोस्टर लॉन्च किया।

एसोसिएशन ने बताया कि इस एप के माध्यम बच्चों के टैलेंट को उभारना है। इसके माध्यम से बच्चों स्कॉलर शिप भी दी जाएगी। जो की 5 हजार से लेकर 5 लाख सालाना तक है। इस एप के माध्यम से 5 लाख छात्र/ छात्राएं पार्टिसिपेट कर सकते हैं, 50 हजार स्कूल जुड़ चुके हैं, 5 हजार कॉलेज एसोसिएशन से जुड़ चुके हैं। कार्यक्रम में मुख्य रूप से तौहीद अहमद, मुजीब इकराम,शारिब, आदिल, आदि उपस्थित रहें।

*एनटीएस 2021 में कौन भाग ले सकता है* 

* वे छात्र जो वर्तमान में कक्षा 8, 9 या 10 में पढ़ने वाले किसी स्कूल में नामांकित हैं * छात्र जो वर्तमान में वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2021 - 2022 के लिए एक जूनियर या डिग्री कॉलेज में नामांकित हैं।

 * 13 से 15 वर्ष के बीच के मदरसा छात्र भाग ले सकते हैं

 # 13 साल कक्षा 8 के साथ, 

# 14 साल कक्षा 9 के साथ, और

 # 15 साल कक्षा 10 के साथ।

 * डिप्लोमा छात्र, आईटीआई, एनआईओएस 13 से 21 वर्ष की आयु सीमा वाले छात्र भाग ले सकते हैं; 

#जूनियर कॉलेज वाले डिप्लोमा छात्र,

 # माध्यमिक पाठ्यक्रम में एनआईओएस के छात्र कक्षा 10 के लिए स्कूल का पेपर लेंगे, और जूनियर कॉलेज के साथ वरिष्ठ माध्यमिक,

 # आईटीआई के छात्र 17 साल या उससे कम उम्र के जूनियर कॉलेज और अन्यथा सीनियर कॉलेज में शामिल होंगे।

 * केवल भारत में पढ़ रहे भारतीय नागरिक पात्र हैं। 

* सभी उम्र 31 जुलाई 2021 को हैं। 


*नोट:* विजेता छात्रों को पात्रता का दस्तावेजी साक्ष्य देना होगा।

भवदीय

अशफ़ाक सिद्दिकी

सेक्रेट्री AMP कानपुर

9305255347

 FMK - NOVEMBER 10, 2021

(Year 29, Vol-21)












غوث اعظم کا گھرانہ بڑی عزت و شان والا ہے:مولانا عمر قادری

تنظیم بریلوی علمائے اہل سنت کے زیر اہتمام جشن غوث الوریٰ و اصلاح معاشرہ کا تیسرا  جلسہ ہیرامن پوروہ میں منعقد

کانپور 9 نومبر:ولیوں کے سردار شیخ محی الدین عبد القادر جیلانی رضی اللہ عنہ کی بارگاہ عالی وقار میں خراج عقیدت پیش کرنے کیلئے تنظیم بریلوی علمائے اہل سنت کے زیر اہتمام آٹھواں سالانہ جشن غوث الوریٰ و اصلاح معاشرہ کا تیسرا  جلسہ مسجد مبین الحق ہیرامن پوروہ میں منعقد ہوا جسکی صدارت تنظیم کے صدر حافظ و قاری سید محمد فیصل جعفری نے کی مسجد ھذا کے خطیب و امام و تنظیم کے ترجمان مولانا محمد عمر قادری نے خطاب فرماتے ہوئے کہا کہ سرکار غوث اعظم رضی اللہ عنہ کے نانا جان حضرت سومئی شہر جیلان کے مشہور مشائخ و رئوسہ میں شامل تھے بڑے عابد و زاہد،مستجاب الدعواة،قائم الیل و صائم النہار تھے ضعیف و نہیف ہونے کے باوجود کثیر النوافل و دائم الذکر تھے اور اسی کے ساتھ عجم کے مشائخ سے فیوض و برکات حاصل شدہ تھے آپکی کرامتیں بڑی مشہور ہیں حضرت عبد اللہ قذوینی کا بیان ہے کہ ایک بار ہمارے کچھ احباب تجارت کی غرض سے سرقند گئے جب وہاں ایک سہرہ میں پہونچے تو کئی ہتھیار سواروں نے آکر قافلہ کو گھیر لیا سارے لوگوں نے بیک زیان کہا یا عبد اللہ سومئی المدد ادھر پکارا ادھر دیکھا کہ حضرت عبد اللہ سومئی سب کے ساتھ کھڑے ہیں اور ڈاکؤں سے فرما رہے ہیں دور یو جاؤ اس قافلہ سے آپکی آواز کی ہیبت سے سارے ڈاکو بھاگ نکلے اور دوبارہ واپس نہ آئے ادھر مارے خوشی کے سارے لوگ یہ ہی نہ دیکھ سکے کہ حضرت عبد اللہ سومئی کدھر گئے جب بڑی جستجو کے بعد بھی نہ ملے تو لوگ تھک ہار کر بیٹھ گئے اور کہا واپس جیلان پہونچ کر حضرت سے اس معاملے میں بات کریں گے جب یہ قافلہ جیلان میں داخل ہوا تو ہر ملنے والے شخص کو اس واقعہ کی خبر دی اور ہر سننے والا یہی جواب دیتا کہ تم جس وقت حضرت عبد اللہ سومئی کا وہاں رہنا بتا رہے ہو حضرت تو اس وقت ہم سب لوگوں کے ساتھ جیلان میں تھے جہاں سرکار غوث پاک کے نانا جان بلند پایا بزرگ ہیں وہیں آپکے والدین اور پھوہھی جان بھی اپنے وقت کے زبردست وکی و ولیہ گزرے ہیں آپکے والد کریم کے سیب کھانے اور اس کا کفارہ ادا کرنے کا واقعہ کس نے نہیں سنا آپ نے ایک سیب جو نہر سے بہتا ہوا آیا تھا کھا لیا اور سوچا کہ نہ جانے کس کا تھا کہ میں نے بغیر اجازت کھا لیا یہ سوچ کر اسی طرف چل پڑے جس طرف سے سیب آیا تھا تو دیکھا تو ایک سیب کا پیڑ دریا جانب جھکا ہے (سوچا سیب اسی سے گرا ہوگا) جب باغ کے مالک کے پاس گئے اور سارا واقعہ بتایا تو مالک نے آپکو 12 سال اس باغ کی نگہبانی سونپ دی یہ مالک حضرت عبد اللہ سومئی ہی ہیں کہ نگاہ ناز سے وہ آپکو سزا نہیں دینا چاہتے بلکہ پرکھنا چاہتے ہیں جب 12 سال کی مدت پوری ہو گئی تو فرمایا تمہارے کفارے کیلئے تمہیں ایک اور کام کرنا ہے وہ یہ کہ میری ایک بے دست و پا بیٹی ہے جس سے تمہیں نکاح کرنا ہوگا آپکے والد حضرت ابو صالح نے ہاں کردی اور بعد نکاح جب حجرہُ خاص میں داخل ہوئے تو صحیح الاعزا لڑکی کو دیکھ کر حیرت میں پڑ گئے اور الٹے قدم باہر آ گئے حضرت عبد اللہ سومئی سے پوچھا کہ اندر کون ہے؟ فرمایا میری بیٹی اور تمہاری زوجہ عرض کی حضور لیکن آپ نے تو فرمایا تھا کہ وہ بے دست و پا ہے؟ فرمایا کہ اسکے کوئی قدم آج تک خلاف شرع نہیں اٹھے اسلئے معزور کہا اسکے ہاتھ اپنے رب کے سوا کسی کے سامنے نہیں پھیلے اسلئے معزور کہا اس نے کبھی کسی اجنبی کو نہ دیکھا نہ سنا اسلئے معزور کہا حضرت ابو صالح نے اس نیک خاتون کو اپنا لیا اور اسی پارسا بیوی کے پاکیزہ بطن سے 60 سال کی عمر میں جو بچہ زمانے کیلئے آفتاب ولایت بن کر چمکا اسی نورانی شخصیت کو لوگ غوث اعظم کہتے ہیں  اس سے قبل جلسہ کا آغاز تلاوت قرآن پاک سے حافظ محمد طالب نے کیا حافظ محمد مونس؛ محمد جنید؛ محمد رئیس نے بارگاہ غوث اعظم میں نعت و منقبد کا نذرانہ پیش کیا جلسہ صلاة و سلام و دعا کے ساتھ اختتام پزید ہوا بعدہُ جلسہ حاضرین میں شیرنی تقسیم ہوئی مہمان خصوصی سیتاپور چکھڑی کے پردھان جناب محمد رفیق رہے شرکاء میں حاجی عبد الباقی، سید زکی عرف سنا بھائی،انیس انصاری، وسیم قریشی، فیروز قریشی،محمد یامین قریشی،ضمیر خاں،ضیاءالدین ازہری وغیرہ لوگ موجود تھے


तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जश्ने गौसुलवरा व इस्लाहे मआशिरा का तीसरा जलसा हीरामन पुरवा मे आयोजित


कानपुर। वलियों के सरदार शेख मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी रजि अल्लाहु अन्हु की बारगाह मे खिराजे अक़ीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का तीसरा जलसा मस्जिद मुबीनुल हक हीरामन पुरवा में हुआ जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी ने की तन्ज़ीम के प्रवक्ता मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि सरकारे ग़ौसे आज़म के नाना जान हज़रते अब्दुलिलाह सूमई शहरे जीलान के मश्हूर मशाएख़ व रऊसा में शामिल थे

बड़े आबिद व ज़ाहिद, मुस्तजाबुद दअवात, क़ाएमुल लैल व साएमुन नहार थे

ज़ईफ व नहीफ होने के बावजूद कसीरुन नवाफिल व दाएमुज़ जिक्र थे और इसी के साथ अजम के मशाएख़ से फुयूज़ व बरकात हासिल शुदा थे

आपकी करामतें बड़ी मश्हूर हैं

हज़रते अब्दुल्लाह क़ुज़वेनी का बयान है कि एक बार हमारे कुछ अहबाब तिजारत की ग़र्ज़ से सरक़ंद गए, जब वहाँ एक सहरा में पहुंचे तो कई हथियार सवारों ने आकर क़ाफिले को घेर लिया। सारे लोगों ने बयक ज़बान कहा या अब्दल्लाह सूमई! अल मदद

इधर पुकारा और उधर देखा कि हज़रते अब्दुल्लाह सूमई सबके साथ खड़े हैं और डाकुओं से फरमा रहे हैं दूर हो जाओ इस क़ाफिले से आपकी आवाज़ की हैबत से सारे डाकू भाग निकले और दोबारा वापस ना आए। 

इधर मारे ख़ुशी के सारे लोग यह ही ना देख सके कि हज़रते अब्दुल्लाह सूमई किधर गए। 

जब बड़ी जुस्तजू के बाद भी ना मिले तो लोग थक हार कर बैठ गए और कहा वापस जीलान पहुंच कर हज़रत से इस मामले में बात करेंगे

जब यह क़ाफिला जीलान में दाखिल हुआ तो हर मिलने वाले शख़्स को उस वाकिये की ख़बर दी और हर सुनने वाला यही जवाब देता कि तुम जिस वक़्त हज़रते अब्दुल्लाह सूमई का वहाँ रहना बता रहे हो हज़रत तो उस वक़्त हम सब लोगों के साथ जीलन में थे जहाँ सरकारे ग़ौसे पाक के नाना जान बुलंद पाया बुज़ुर्ग हैं वहीं आपके वालिदैन और फूफी जान भी अपने वक़्त के ज़बरजस्त वली व वलीया गुज़रे हैं

आपके वालिदे करीम के सेब खाने और उसका कफ्फारा अदा करने का वाकिया किसने नहीं सुना

आपने एक सेब जो नहर से बहता हुआ आया था खा लिया और सोचा कि ना जाने किसका था कि मैंने बग़ैर इजाज़त खा लिया

यह सोच कर उसी तरफ चल पड़े जिस तरफ से सेब आया था तो देखा एक सेब का पेड़ दरिया की जानिब झुका है (सोचा सेब इसी से गिरा होगा)

जब बाग़ के मालिक के पास गए और सारा वाकिया बताया तो मालिक ने आपको 12 साल उस बाग़ की निगहबानी सौंप दी

यह मालिक हज़रते अब्दुल्लाह सूमई ही हैं कि निगाहे नाज़ से वह आपको सज़ा नहीं देना चाहते बल्कि परखना चाहते हैं

जब 12 साल की मुददत पूरी हो गई तो फरमाया तुमहारे कफ्फारे के लिये तुम्हें एक और काम कर,ना है वह यह कि मेरी एक बे दस्त व पा (माज़ूर) बेटी है जिससे तुम्हें निकाह करना होगा

आपके वालिद हज़रते अबू सालेह ने हाँ कर दी और बादे निकाह जब हुजरए ख़ास में दाखिल हुए तो सहीहुल अअज़ा लड़की को देख कर हैरत में पड़ गए और उलटे क़दम बाहर आ गए। 

हज़रते अब्दुल्लाह सूमई को से पूछा कि अंदर कौन है?

फरमाया मेरी बेटी और तुम्हारी ज़ौजा

अर्ज़ की हुज़ूर लेकिन आपने तो फरमाया था कि वह बे दस्त व पा है?

फरमाया कि उसके कोई क़दम आज तक खिलाफे शरअ नहीं उठे इसलिये माज़ूर कहा

उसके हाथ अपने रब के सिवा किसी के सामने नहीं फैले इसलिये माज़ूर कहा

उसने कभी किसी अजनबी को ना देखा ना सुना इसलिये माज़ूर कहा

हज़रते अबू सालेह ने उस नेक ख़ातून को अपना लिया और इसी पारसा बीबी के पाकीज़ा बतन से 60 साल की उम्र में जो बच्चा ज़माने के लिये आफताबे विलायत बन कर चमका उसी नूरानी शख्सियत को लोग ग़ौसे आज़म कहते हैं। 

इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते कुरान पाक से हाफिज़ मोहम्मद तालिब ने किया हाफिज़ मोहम्मद मोनिस, मोहम्मद जुनैद, मोहम्मद रईस ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तक़सीम हुई मेहमाने खुसूसी सीतापुर से आए प्रधान मोहम्मद रफीक़ रहे। इस मौके पर हाजी अब्दुल बाक़ी, सन्ना भाई, अनीस अन्सारी, वसीम क़ुरैशी,फिरोज कुरैशी, यामीन कुरैशी, ज़मीर खाँ, जियाउद्दीन अज़हरी आदि लोग मौजूद थे।

तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मआशरा का दूसरा जलसा चमनगंज मे आयोजित

कानपुर। अल्लाह तआला ने ग़ौसे आज़म को बेशुमार करामतें अता फरमाई थीं, हज़रते मुल्ला अली क़ारी लिखते हैं कि आपकी करामतों के बराबर किसी दूसरे वली की करामत नहीं, बल्कि आप ख़ुद सरापा करामत हैं। तवातुर के साथ आपकी करामतों का होना साबित है, और यह करामात आपको इसलिये दी गई थीं ताकि लोग जान लें कि आपको अल्लाह के कितने अज़ीम मक़ाम पर फाएज़ किया है, बादे हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम मुर्दे को जिन्दा करने की करामत किसी वली से सादिर ना हुई सिवाए आपके, इससे अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि आपकी शान कितनी अज़ीम है इन ख्यालात का इज़हार तन्जीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के जेरे एहतिमाम चमनगंज मे हुए जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मआशरा के दूसरे  जलसे मे तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान  क़ादरी ने किया तन्जीम के सदर हाफिज़ व कारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी की सदारत,मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी व मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी की कयादत मे हुए जलसे से मौलाना ने आगे कहा कि एक बार सरकार गौसे आजम का गुज़र बाज़ार से हुआ एक दुकान पर देखा कि उब्ले हुए अन्डे बिक रहे हैं, आप दुकान के क़रीब जाकर खड़े हो गए और अन्डे देख कर फरमाने लगे कि यह अन्डे कितने सफेद और कितने ख़ूबसूरत हैं, अगर इन अन्डों से चूज़े (बच्चे) निकलते तो वह भी बड़े ख़ूबसूरत होते, आपके इतना फरमाते ही सारे उब्ले हुए अन्डों से चूज़े निकल आए और बाज़ार में हर एक ने आपकी इस करामत को देखा। 

हमें औलियाए किराम के मज़ारात पर हाजिरी के साथ साथ हाजिरी के आदाब भी सीखने चाहियें, अगर हमें औलिया के बारगाह के आदाब आ जाएँ तो यक़ीनन वह हमें ख़ूब अता करेंगे। जब हम उनकी बारगाह में हाजिर हों तो बा वुज़ू होकर, मज़ारे पाक के सामने अदब से हाथ बाँधे और आँखें बन्द हों, दिल में ख़ौफे ख़ुदा और आँखों में शर्मिन्दगी के आँसू लेकर अपने रब के हुज़ूर दुआ करें और अपने उस प्यारे वली के दामन को मज़बूती से पकड़ कर अर्ज़ करें कि हुज़ूर मैं निकम्मा सही लेकिन हूँ तो आपका ही ग़ुलाम, आप ही ना अता करेंगे तो कौन अता करेगा? बस दामन से लिपट जाइये और रोते रहिये वह ज़रूर अता करेंगे, क्यूँकि अल्लाह के वली सब कुछ देख सकते हैं मगर उनसे हमारा रोना नहीं देखा जाता। 

जलसे का आगाज तिलावते कुरआन पाक से हाफिज़ फुजैल रजवी ने किया और कारी वारिस बरकाती ने नात पाक पेश की। जलसा सलातो सलाम के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद तोशा शरीफ की नज़र पेश की गई और दुआ हुई फिर शीरनी तकसीम की गई।

इस मौके पर मोहम्मद सिद्दीक़ जाफ़री, हाफिज़ वाहिद अली रज़वी, मौलाना मुबारक अली फैज़ी, हाफिज जुबैर क़ादरी, शादाब रज़ा, कमालुद्दीन, ज़मीर खान, जियाउद्दीन अज़हरी, मोहम्मद इरफान, रिज़वान हुसैन, मोहम्मद रज़ा, मोहम्मद मोईन जाफरी आदि लोग मौजूद थे।

जश्ने गौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का पहला जलसा जिन्नाती मस्जिद जाजमऊ मे

कानपुर। वलियो के सरदार सरकार ग़ौसे आज़म रजि अल्लाहु अन्हु की बारगाह मे खिराजे अक़ीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का पहला जलसा जिन्नाती मस्जिद जाजमऊ मे हुआ तन्ज़ीम के सरपरस्त  मौलाना नय्यरूल कादरी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि सरकारे ग़ौसे आज़म की वालिदा की उम्र शरीफ जब 60 साल हुई तो आप पुश्ते पिदर से शिकमे मादर में आए, अतिब्बा के नज़दीक इस उम्र में औलाद का होना मोहाल है लेकिन आपकी वालिदा की इतनी तवील उम्र हो जाने के बाद आपकी विलादत आपकी रौशन करामत पर दलालत करती है कि रब्बुल इज़्ज़त ने अपनी क़ुदरते कामिला से ना मुम्किन को मुम्किन कर दिया।

आखिर मुददते हमल गुज़र जाने के बाद वह मुबारक व मस्ऊद दिन भी आ गया जिसके लिये फिज़ाए रूहानी बेचौन व बेक़रार थी। जिसका ख़ैर मक़दम करने के लिये अज़्म व सबात, तवक्कुल व रज़ा, ताअत व इबादत, सब्र व क़नाअत परेशान व मुज़्तरिब थे। आज की शब वही शबे जाँ नवाज़ थी जब्कि तमाम रूहानी दुनिया में सर सब्ज़ी व शादाबी का एलाने आम हो गया था। यह साअत वही साअत थी जब्कि सआदतों, रियाज़तों, तहारतों का इफ्तिताह हो गया था। यह वक्त वही मुबारक वक़्त था जब्कि आतिश कदए कुफ्र सर्द होकर रह गए थे। 

471 हिज्री 1 रमज़ान शब में आप हुस्ने यूसुफ, अख़्लाक़े मोहम्मदी, वफाए सिददीक़, अद्ले फारूक़, हयाए उसमान व शुजाअते अली लेकर आलमे क़ुद्स से आलमे दुनिया में तशरीफ लाए।

आपकी जिस शब विलादत हुई उसी शब आपके वालिद के ख़्वाब में सरवरे कौनैन अलैहिस्सलाम तशरीफ लाए और फरमाया अबू सालेह! अल्लाह तआला ने तुझे एैसा नेक बेटा अता फरमाया है जो उसका भी महबूब है और मेरा भी, औलिया व अक़्ताब में इसका रुत्बा बहुत ही बुलंद व बाला है।

और मज़े की बात कि उस रात बग़दाद में 1100 बच्चे (लड़के) पैदा हुए जिनमें एक भी लड़की नहीं थी और आपके तशरीफ लाने की बरकतों से अल्लाह ने उन सबको विलायत के आला मक़ाम पर फाएज़ फरमाया। 

बादे विलादत आपकी जो सबसे पहली करामत ज़हूर में आई वह यह कि आपकी वालिदा फरमाती हैं जब मेरा बेटा अब्दुल क़ादिर पैदा हुआ तो माहे रमज़ान शुरू हो चुका था और उस साल मेरे लाल ने पूरे माह दिन में मेरा दूध नहीं पिया मैं बड़ी परेशान रहती तो अब्दुल क़ादिर के वालिद ने कहा जब रात को वह शिकम सेर होकर दूध पी लेता है तो इसमें इतना परेशान होने की क्या ज़रूरत? लेकिन मैं फिर भी परेशान रहती और बेटे का दिन में दूध ना पीने का मस्ला समझ में नहीं आता।

आखिर जब रमज़ान ख़त्म हो गए तो मेरा बेटा रात के साथ दिन में भी दूध पीने लगा और इस तरह साल गुज़र गया। जब अगले साल रमज़ान शुरू हुआ तो कुछ लोग मेरे पास आए जो चाँद की रूयत को लेकर काफी परेशान थे। उनहोंने मुझसे पूछा बीबी! कहीं से चाँद की शरई तस्दीक़ ना होने की वजह से हम परेशान हैं और आपसे यह पूछने आए हैं कि आपके नज़दीक अगर कोई ख़बरे सहीह हो तो हमें मुत्तला फरमाएँ

आपकी वालिदा फरमाती हैं कि चाँद की तस्दीक़ तो मेरे पास भी नहीं है लेकिन कल चाँद हो चुका है और आज चाँद की पहली तारीख़ है। लोगों ने पूछा बीबी जब आपके पास कोई सुबूत नहीं तो आप कैसे कह सकती हैं कि आज पहला रमज़ान है?

आपने फरमाया कि मेरा बेटा अब्दुल क़ादिर रमज़ान के दिनों में दिन में दूध नहीं पीता और कल मेरे लाल ने दिन भर दूध नहीं पिया।

इससे मैंने जान लिया कि आज रमज़ान की पहली तारीख़ है इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते कुरान पाक से मोहम्मद शमशाद ने किया और मोहम्मद तुफैल ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तकसीम हुई इस मौक़े पर मोहम्मद रफीक़,निज़ाम अहमद, मोहम्मद शकील, मोहम्मद दानिश  आदि लोग मौजूद थे।