जश्ने गौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का पहला जलसा जिन्नाती मस्जिद जाजमऊ मे

कानपुर। वलियो के सरदार सरकार ग़ौसे आज़म रजि अल्लाहु अन्हु की बारगाह मे खिराजे अक़ीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मुआशिरा का पहला जलसा जिन्नाती मस्जिद जाजमऊ मे हुआ तन्ज़ीम के सरपरस्त  मौलाना नय्यरूल कादरी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि सरकारे ग़ौसे आज़म की वालिदा की उम्र शरीफ जब 60 साल हुई तो आप पुश्ते पिदर से शिकमे मादर में आए, अतिब्बा के नज़दीक इस उम्र में औलाद का होना मोहाल है लेकिन आपकी वालिदा की इतनी तवील उम्र हो जाने के बाद आपकी विलादत आपकी रौशन करामत पर दलालत करती है कि रब्बुल इज़्ज़त ने अपनी क़ुदरते कामिला से ना मुम्किन को मुम्किन कर दिया।

आखिर मुददते हमल गुज़र जाने के बाद वह मुबारक व मस्ऊद दिन भी आ गया जिसके लिये फिज़ाए रूहानी बेचौन व बेक़रार थी। जिसका ख़ैर मक़दम करने के लिये अज़्म व सबात, तवक्कुल व रज़ा, ताअत व इबादत, सब्र व क़नाअत परेशान व मुज़्तरिब थे। आज की शब वही शबे जाँ नवाज़ थी जब्कि तमाम रूहानी दुनिया में सर सब्ज़ी व शादाबी का एलाने आम हो गया था। यह साअत वही साअत थी जब्कि सआदतों, रियाज़तों, तहारतों का इफ्तिताह हो गया था। यह वक्त वही मुबारक वक़्त था जब्कि आतिश कदए कुफ्र सर्द होकर रह गए थे। 

471 हिज्री 1 रमज़ान शब में आप हुस्ने यूसुफ, अख़्लाक़े मोहम्मदी, वफाए सिददीक़, अद्ले फारूक़, हयाए उसमान व शुजाअते अली लेकर आलमे क़ुद्स से आलमे दुनिया में तशरीफ लाए।

आपकी जिस शब विलादत हुई उसी शब आपके वालिद के ख़्वाब में सरवरे कौनैन अलैहिस्सलाम तशरीफ लाए और फरमाया अबू सालेह! अल्लाह तआला ने तुझे एैसा नेक बेटा अता फरमाया है जो उसका भी महबूब है और मेरा भी, औलिया व अक़्ताब में इसका रुत्बा बहुत ही बुलंद व बाला है।

और मज़े की बात कि उस रात बग़दाद में 1100 बच्चे (लड़के) पैदा हुए जिनमें एक भी लड़की नहीं थी और आपके तशरीफ लाने की बरकतों से अल्लाह ने उन सबको विलायत के आला मक़ाम पर फाएज़ फरमाया। 

बादे विलादत आपकी जो सबसे पहली करामत ज़हूर में आई वह यह कि आपकी वालिदा फरमाती हैं जब मेरा बेटा अब्दुल क़ादिर पैदा हुआ तो माहे रमज़ान शुरू हो चुका था और उस साल मेरे लाल ने पूरे माह दिन में मेरा दूध नहीं पिया मैं बड़ी परेशान रहती तो अब्दुल क़ादिर के वालिद ने कहा जब रात को वह शिकम सेर होकर दूध पी लेता है तो इसमें इतना परेशान होने की क्या ज़रूरत? लेकिन मैं फिर भी परेशान रहती और बेटे का दिन में दूध ना पीने का मस्ला समझ में नहीं आता।

आखिर जब रमज़ान ख़त्म हो गए तो मेरा बेटा रात के साथ दिन में भी दूध पीने लगा और इस तरह साल गुज़र गया। जब अगले साल रमज़ान शुरू हुआ तो कुछ लोग मेरे पास आए जो चाँद की रूयत को लेकर काफी परेशान थे। उनहोंने मुझसे पूछा बीबी! कहीं से चाँद की शरई तस्दीक़ ना होने की वजह से हम परेशान हैं और आपसे यह पूछने आए हैं कि आपके नज़दीक अगर कोई ख़बरे सहीह हो तो हमें मुत्तला फरमाएँ

आपकी वालिदा फरमाती हैं कि चाँद की तस्दीक़ तो मेरे पास भी नहीं है लेकिन कल चाँद हो चुका है और आज चाँद की पहली तारीख़ है। लोगों ने पूछा बीबी जब आपके पास कोई सुबूत नहीं तो आप कैसे कह सकती हैं कि आज पहला रमज़ान है?

आपने फरमाया कि मेरा बेटा अब्दुल क़ादिर रमज़ान के दिनों में दिन में दूध नहीं पीता और कल मेरे लाल ने दिन भर दूध नहीं पिया।

इससे मैंने जान लिया कि आज रमज़ान की पहली तारीख़ है इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते कुरान पाक से मोहम्मद शमशाद ने किया और मोहम्मद तुफैल ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तकसीम हुई इस मौक़े पर मोहम्मद रफीक़,निज़ाम अहमद, मोहम्मद शकील, मोहम्मद दानिश  आदि लोग मौजूद थे।

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