तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मआशरा का दूसरा जलसा चमनगंज मे आयोजित

कानपुर। अल्लाह तआला ने ग़ौसे आज़म को बेशुमार करामतें अता फरमाई थीं, हज़रते मुल्ला अली क़ारी लिखते हैं कि आपकी करामतों के बराबर किसी दूसरे वली की करामत नहीं, बल्कि आप ख़ुद सरापा करामत हैं। तवातुर के साथ आपकी करामतों का होना साबित है, और यह करामात आपको इसलिये दी गई थीं ताकि लोग जान लें कि आपको अल्लाह के कितने अज़ीम मक़ाम पर फाएज़ किया है, बादे हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम मुर्दे को जिन्दा करने की करामत किसी वली से सादिर ना हुई सिवाए आपके, इससे अन्दाज़ा लगाया जा सकता है कि आपकी शान कितनी अज़ीम है इन ख्यालात का इज़हार तन्जीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के जेरे एहतिमाम चमनगंज मे हुए जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मआशरा के दूसरे  जलसे मे तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान  क़ादरी ने किया तन्जीम के सदर हाफिज़ व कारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी की सदारत,मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी व मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी की कयादत मे हुए जलसे से मौलाना ने आगे कहा कि एक बार सरकार गौसे आजम का गुज़र बाज़ार से हुआ एक दुकान पर देखा कि उब्ले हुए अन्डे बिक रहे हैं, आप दुकान के क़रीब जाकर खड़े हो गए और अन्डे देख कर फरमाने लगे कि यह अन्डे कितने सफेद और कितने ख़ूबसूरत हैं, अगर इन अन्डों से चूज़े (बच्चे) निकलते तो वह भी बड़े ख़ूबसूरत होते, आपके इतना फरमाते ही सारे उब्ले हुए अन्डों से चूज़े निकल आए और बाज़ार में हर एक ने आपकी इस करामत को देखा। 

हमें औलियाए किराम के मज़ारात पर हाजिरी के साथ साथ हाजिरी के आदाब भी सीखने चाहियें, अगर हमें औलिया के बारगाह के आदाब आ जाएँ तो यक़ीनन वह हमें ख़ूब अता करेंगे। जब हम उनकी बारगाह में हाजिर हों तो बा वुज़ू होकर, मज़ारे पाक के सामने अदब से हाथ बाँधे और आँखें बन्द हों, दिल में ख़ौफे ख़ुदा और आँखों में शर्मिन्दगी के आँसू लेकर अपने रब के हुज़ूर दुआ करें और अपने उस प्यारे वली के दामन को मज़बूती से पकड़ कर अर्ज़ करें कि हुज़ूर मैं निकम्मा सही लेकिन हूँ तो आपका ही ग़ुलाम, आप ही ना अता करेंगे तो कौन अता करेगा? बस दामन से लिपट जाइये और रोते रहिये वह ज़रूर अता करेंगे, क्यूँकि अल्लाह के वली सब कुछ देख सकते हैं मगर उनसे हमारा रोना नहीं देखा जाता। 

जलसे का आगाज तिलावते कुरआन पाक से हाफिज़ फुजैल रजवी ने किया और कारी वारिस बरकाती ने नात पाक पेश की। जलसा सलातो सलाम के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद तोशा शरीफ की नज़र पेश की गई और दुआ हुई फिर शीरनी तकसीम की गई।

इस मौके पर मोहम्मद सिद्दीक़ जाफ़री, हाफिज़ वाहिद अली रज़वी, मौलाना मुबारक अली फैज़ी, हाफिज जुबैर क़ादरी, शादाब रज़ा, कमालुद्दीन, ज़मीर खान, जियाउद्दीन अज़हरी, मोहम्मद इरफान, रिज़वान हुसैन, मोहम्मद रज़ा, मोहम्मद मोईन जाफरी आदि लोग मौजूद थे।

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