मध्य प्रदेश मे मस्जिद पर उपद्रव करने वालो पर सख्त कार्यवाई की जाए:हाफिज़ फैसल जाफरी

कानपुर:मध्य प्रदेश के मंदसौर मे राम मंदिर के नाम पर चंदा लेने गए दंगाईयों द्वारा किये गए उपद्रव करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाए साथ ही किसी बेगुनाह के साथ नाइंसाफी न की जाए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी ने कहा कि मस्जिद अल्लाह का घर है जहाँ पर मुसलमान नमाज़ कुरान की तिलावत करते है मदरसो मे दीनी तालीम हासिल कराई जाती है ऐसे मे मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर की एक मस्जिद मे कुछ दंगाईयों ने मीनार पर चढ़कर  भगवा झंडा लगा दिया साथ ही  मस्जिद के सामने हनुमान चालिसा किया जिससे खुलेआम गुण्डई देखने को मिल रही इतना ही नही एक उसी प्रदेश के उज्जैन मे बेगमबाग इलाक़े मे भी उप्रदव करने वालो ने मुसलमानो के खिलाफ भड़काव नारे लगाए और वहाँ के प्रशासन ने एक तरफा कार्यवाई करते हुए नाजायज़ कब्ज़े के नाम पर एक मकान गिरा दिया जैसा कि सोशल मीडिया मे भी देखने को मिला इसी तरह धार शहर मे भी दंगाईयों ने चंदा की वसूली करने गए वहाँ के लोगो को परेशान किया जो लोग खुलेआम इस तरह की गंदी हरकत कर रहे हैं मुसलमानो के साथ इस तरह के ज़ुल्म होना यह बहुत ही निंदनीय है हाफिज़ फैसल जाफरी के साथ तन्ज़ीम के सरपरस्ते आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी,मौलाना नय्यरूल क़ादरी,मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बाही,मुफ्ती काजिम रज़ा ओवैसी,मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी,मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी,मौलाना महदी हसन,कारी आदिल अज़हरी,हाफिज़ इरफान रज़ा कादरी,मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी,हाफिज़ वाहिद अली रज़वी,मौलाना मुबारक अली फैज़ी,मौलाना नूर आलम,हाफिज़ फुज़ैल रज़वी,हाफिज़ मोहम्मद ज़ुबैर क़ादरी,हाजी हस्सान अज़हरी,मोहम्मद इलियास गोपी आदि ने मध्य प्रदेश सरकार से माँग की हैं कि ऐसे दंगाईयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाई की जाए जो लोग नफरत की बात कर रहे उनको जेल की सलाखो के पीछे डालना चाहिए इस मुल्क मे हिन्दु मुस्लिम भाईचारा बरकरार रहे!

इस्लाहे वर्क शाप की महफिले हर जगह होनी चाहिए:मौलाना शाहिद मिस्बाही


उन्नाव:31 दिसम्बर की रात होने वाले सेलीब्रेशन जिनमें वह हराम कारियाँ वजूद में आती हैं  (जिससे अल्लाह व रसूल नाराज़ होते हैं) उसपर रोक लगाने के लिये कासिम नगर स्थित दारुल उलूम अहले सुन्नत मन्ज़रे इस्लाम एजुकेशनल सोसाइटी के ज़ेरे एहतिमाम एक रोज़ा तरबियती नशिस्त बनाम,, इस्लाह वर्क शॉप,, मुंअकिद हुई जिसकी सरपरस्ती मौलाना निसार अहमद मिस्बाही क़ाज़ी-ए-शहर उन्नाव व सदारत इदारा के प्रिंसिपल मौलाना शुएैब ख़ाँ मिस्बाही ने की 

पहला खिताब हज़रते मौलाना मोहम्मद जुनैद मिस्बाही कानपुरी का,, 31 दिसम्बर की रात और हमारे नौजवान,, के मज़मून पर हुआ जिसमें उनहोंने शराब, जुआ, नाच, गाना, जिना जैसी दूसरी बदकारियों का रद करते हुए फरमाया कि यह वह काम हैं जिन्हें अल्लाह हर्गिज़ पसंद नहीं फरमाता और एैसा करने वालों से वह सख़्त नाराज़ रहता है
और मज़ाहिब के मानने वाले क्या कर रहे हैं हमें उससे कोई ग़र्ज़ नहीं लेकिन जब हम अपने नौजवानों को इन ख़बीस कामों में मुलव्विस देखते हैं तब हमें बड़ी शर्मिंदगी भी होती है और बड़ा ग़म भी
जब यह हमारी रवायत ही नहीं तो हम इसे क्यूँ मना कर अपने करीम रब की नाराज़गी मोल ले रहे हैं
जालौन से आए मौलाना शाहिद अली मिस्बाही ने सोशल मीडिया पर गुनाहे जारिया व मदारिसे इस्लामिया अब क्या करें के मौज़ू पर बहुत ही नायाब व दिल आवेज़ गुफ्तगू फरमाई जिसमें उन्होंने फरमाया कि जिस तरह अच्छे काम व अच्छी औलाद लोगों के लिये सवाबे जारिया बनती हैं इसी तरह सोशल मीडिया की एैसी पोस्ट्स जो झूट, मक्र, फरेब, नफरतों पर मब्नी हों उनकी तबाह कारियाँ भी मरने के बाद तक हमारा पीछा करती रहती हैं और हमें अल्लाह की बारगाह में ज़लील व रुस्वा कर देती हैं
इस दौर में लोग धड़ल्ले से सोशल मीडिया का ग़लत इस्तिमाल कर रहे हैं और वह इस ग़लत सोच में हैं कि जिस तरह वह अपनी हरकतें अपने वालिदैन या बड़ों से छुपा रहे हैं रब से भी छुपा लेंगे जब्कि हमारा रब हमें हर आन देख रहा है और हमारे दिलों के अहवाल तक जानता है
दूसरी जानिब हम देखें कि लॉकडाउन के बाद हर लाइन का आदमी किसी ना किसी तरह अपने काम काज कर रहा है लेकिन मदारिस व मसाजिद से जुड़े उलेमा व अइम्मा हज़रात जो पहले ही क़लील तन्ख़्वाहों के चलते माली एतिबार से परेशान रहते थे वह अब और ज़्यादा परेशान हैं साथ ही तल्बा का पूरा साल बुरी तरह बर्बाद हुआ
क्या हमारे समाज के सरमाया दारों को अपने रहनुमाओं की ख़बर गीरी नहीं करनी चाहिये?
अफसोस का मक़ाम है कि जो इमाम पंजवक्ता नमाज़ पढ़ाते हैं, मस्जिद की सफाईयाँ करते हैं, हमारे बच्चों के मुस्तक्बिल संवारते हैं आज उनको किस तरह की जिन्दगी जीनी पड़ रही है
कहीं इमाम का क़त्ल कर दिया जाता है, कहीं इमाम भूक से तड़प कर मर जाता है, कहीं इमाम के घर की छत गिर जाती है और उसका पूरा अयाल जाँ बहक़ हो जाता है और कहीं कहीं तो इमाम अब ब्याज़ पर पैसे तक उठाने पर मजबूर हो गए हैं
अगर्चे यह ग़लत है लेकिन वह एैसी ग़ल्तिया सिर्फ इस बुनियाद पर कर रहे हैं कि उनकी आमदनी का कोई बेहतर ज़रिया नहीं है और अगर ज़रिया है भी तो उसकी माहाना तन्ख़्वाह इतनी है जितने में हम अपने बीवी बच्चों के साथ दो घंटे की शॉपिंग में लुटा कर चले आते हैं
लिहाज़ा हम में से हर शख़्स को चाहिये कि वह अपने उलेमा व अइम्मा का पूरी तरह खयाल रखे और उसे भी वैसी ही तन्ख़्वाह, वैसा ही मकान, वैसा ही आराम दे जैसा वह ख़ुद के लिये चाहता है
इससे पहले प्रोग्राम का आग़ाज़ तिलावते कुरान पाक से इदारा के तालिबे इल्म हाफिज़ अरफात रज़ा बलरामपुरी ने किया और निज़ामत के फराएज़ इदारा के उस्ताज़ हज़रते मौलाना हस्सान क़ादरी ने अंजाम दिये
नात ख़्वानी करने वालों में क़ारी अब्दुल अलीम बरकाती व हाफिज़ अदनान रज़ा रहे सलात व सलाम के बाद क़ाज़ी-ए-शहर  की दुआ पर ख़त्म हुआ
इस मौक़े पर मौलाना असलम अत्तारी,क़ारी तौसीफ,हाफिज़ वारिस,हाफिज़ आरिफ,हाफिज़ सादिक़,हाफिज़ शफीक़,हाफिज़ आक़िब,हाफिज़ महताब,हाफिज़ दिलशाद,अरशद अत्तारी आदि के अलावा इदारा के तल्बा व अराकीने इदारा में हाजी इश्तियाक़ बरकाती, मोहम्मद फारूक़ बरकाती, मोहम्मद इसहाक़ बरकाती आदि लोग मौजूद रहे!

شہر کانپور کے ذمہ دار علمائے کرام بقائے سنیت کیلئے شہر کانپور پر نظر ثانی فرمائیں:حافظ فیصل جعفری

 کانپور 29 دسمبر:تنظیم بریلوی علمائے اہل سنت کی ایک میٹنگ چمن گنج واقع تنظیم کے دفتر میں زیر صدارت حافظ و قاری سید محمد فیصل جعفری منعقد ہوئی جس میں حالات حاضرہ پر غورو خوض کیا گیا تنظیم کے صدر حافظ فیصل جعفری نے کہا کہ بہت ہی افسوس کی بات ہے کہ شہر کانپور میں اہل سنت وجماعت میں اس وقت جو گروپ بازی کا سلسلہ جاری ہے وہ اہل کانپور کیلئے ہر اعتبار سے نقصان دہ ہے ہر شہر میں ایک قاضئی ہوتا ہے جو قوم مسلم کی نمائندگی کرتا ہے لیکن کانپور ایک ایسا شہر بن گیا ہے جہاں پر درجنوں کے حساب سے اس وقت قاضئی بنے ہوئے ہے جس سے کہ غیر مذہب کے ماننے والوں میں مذاق بنا ہوا ہے وہی قوم مسلم بھی کش مکش میں کہ کس کو اپنا قائد مانا جائے یوں تو کہ لیا جائے کہ جنگ آزادی سے لیکر آج تک مسلمانوں کے ساتھ ظلم و ستم ہوتا رہا ہر طرف سے مسلمانوں کو نشانہ بنایا جا رہا ہے ذرا سی کوئی بات ہوتی ہے سیکڑوں کی تعداد میں مسلمانوں پر مقدمہ درج کر دئے جاتے ہیں جو کہ کسی سے پوشیدہ نہیں ہے پانچ ماہ قبل لاک ڈاؤن میں بھی اس طرح کے معاملات در پیش آئے لاک ڈاؤن میں ہر مسلم تیوہار میں مشکلوں کا سامنا کرنا پڑا رمضان المبارک،عید الفطر،عید الاضحیٰ،جلوس محمدی،جلوس غوثیہ یا ماہ محرم الحرام کے جلوسوں میں پوری طرح پابندی رہی جبکہ غیر مسلموں کے تیوہار اسی طرح ہوئے جیسے گزشتہ سالوں کی طرح ہوتے آ رہے رہے ہیں لیکن اس پر کسی کی توجہ نہیں رہی اور ہو بھی تو کیسے جب بے حساب قاضئی ہونگے تو آپکی بات بھلا کون سنیگا؟ منصب قضا حاصل کرنا تو اب شہر کانپور میں بہت آسان ہو گیا ہے لیکن قوم مسلم کے مسائل کیسے حل کئے جائیں بے قصوروں کو انصاف کیسے دلایا جائے اس جانب کسی کی توجہ نہیں ہے ہزاروں کی تعداد میں شہر کانپور میں لوگ فرضی مقدموں میں ملوث ہیں یہی وجہ ہے کہ اب اس منصب کی کوئی اہمیت ضلع انتظامیہ و عوام کے درمیان رہ نہیں گئی مرکز اہل سنت بریلی شریف کے تائد شدہ قاضئی شہر کے یہاں بھی صرف چند لوگوں کے درمیان میٹنگ کرکے فیصلہ لے لیا جاتا ہے یہی وجہ رہی کہ دو روز قبل ہوئے ایک قاضئی شہر کے انتخاب میں ان سے جڑے لوگوں نے شرکت کی اور سب زیادہ افسوس ناک بات یہ ہے کہ کچھ علماء نے اپنے نفس کے خاطر مرکز اہل سنت کی دہائی دے دیکر مرکز کو بدنام کرنے کی کوشش کی جو کہ کسی بھی اعتبار سے درست نہیں ہے قاضئی یا مفتی کا انتخاب مرکز نہیں بلکہ مقامی علماء و ائمہ حضرات طے کرتے ہیں مرکز تو اس بنیاد پر اپنی تائد پیش کرتا ہے شہر کانپور کے ذمہ دار علمائے کرام،مفتان عظام و ائمہ ذوی الاحترام سے حقیر کی یہی خواہش ہے کہ کہیں ایک جگہ جمع ہوکر اور اب تک کہ اہل سنت وجماعت سے تعلق رکھنے والے جتنے حضرات منصب قضا پر فائز ہیں ان سب کو دعوت دیکر اس مسئلہ پر گفتگو کریں اور جو بہتر ہو اس پر اتفاق رائے سے فیصلہ لیکر ایک قاضئی شرع کا انتخاب کریں یہ ذمہ داری دی اس شخص کو دی جائے جس پر کثیر تعداد میں علمائے اہل سنت کا اتفاق ہو اگر یہ صورت نہ نکل سکے تو ووٹنگ کراکر بھی معاملہ طے کیا جا سکتا ہے منصب قضا کیلئے جو بھی دعویدار سامنے آئیں ان کے سامنے کچھ شرائط ہونی چاہئے (1) مذہب اہل سنت و مسلک اعلیٰ حضرت کا پابند ہو (2) تمام فرقہائے باطلہ وہابی،دیوبندی سے اسکا تعلق نہ ہو (3) کسی مدارس یا اسکول میں سرکاری ملازم نہ ہو (4) ضلع انتظامیہ و حکومت وقت سے اپنی قوم کی نمائندگی مضبوطی سے کرنے والا ہو (5) ماضی میں شہر کانپور کیلئے کیا خدمات رہیں اور مستقبل میں کیا ہو سکتی ہیں اس پر بھی انٹرویو ہونا چاہئے یہ چند باتیں جو ہم کو کہنا تھا وہ ہم نے کہی باقی آپ حضرات کو جو بہتر لگے وہ کریں اگر اس پر ہمارے ذمہ دار علماء حضرات نے توجہ نہ فرمائی تو ہر آنے والا کل ہم سب کیلئے بہتر نہ ہوگا

اللہ تبارک وتعالیٰ اپنے پیارے حبیب صلی اللہ علیہ وسلم کے صدقے شہر کانپور میں علمائے اہل سنت میں اتحاد پیدا فرما اور ایک بہتر قائد شہر کانپور کو عطا فرما آمین یا رب العالمین بجاہد سید المرسلین صلی اللہ علیہ وسلم تنظیم کے سرپرست اعلیٰ مفتی سید محمد اکمل میاں اشرفی،سرپرست مولانا نیر القادری،مفتی ممتاز عالم مصباحی،مفتی محمد کاظم رضا اویسی،مولانا محمد عمر قادری،مولانا محمد حسان قادری،مولانا مہدی حسن رضوی،قاری امتیاز احمد قادری،مولانا ظہور عالم ازہری،حافظ واحد علی رضوی،مولانا مبارک علی فیضی،مولانا حبیب الرحمٰن،قاری محمد عادل رضا ازہری،حافظ محمد عرفان رضا قادری،مولانا نور عالم رضوی،حافظ فضیل احمد رضوی،حافظ محمد زبیر قاددی وغیرہ نے بھی اس حساس مسئلہ پر اپنے اپنے تاثرات کا اظہار کیا!

زرعی قوانین کے خلاف میواتی علماء نے کیا کسانوں کی مکمل حمایت کا اعلان

زرعی قانون واپس ہونے تک احتجاج جاری رہیگا:مفتی زاہد



پلول میوات

( مبارک میواتی آلی میو )

اپنی محنت سے دن رات ایک کر کے عوام کو غلہ مہیا کرانے والا ملک کا کسان ہی جب پریشانی میں مبتلا ہوگا تو پھر ملک کیسے ترقی کی راہ پر گامزن ہوگا، مفتی محمد زاہد قاسمی نے کہا یہ لڑائی پنجاب، یا ہریانہ راجستھان کے کسانوں کی نہیں ہے یہ تو پورے ملک کی لڑائی ہے،مفتی زاہد نے اپنے خطاب میں کہا ملک کے نوے فیصد حصہ میں کسان بستا ہے،انہوں نے کہا آج ہمارے ملک کے وزیر اعظم کو صرف چند صنعتی کاروباریوں کی فکر ہے ملک کے عام آدمی، یا کسان کی کوئی فکر نہیں ہے،سبھی موجود لوگوں نے ایک آواز ہوکر کہا ہم یہ لڑائی کسان مخالف قانون کے واپسی تک مضبوطی کے ساتھ لڑینگے، آج مشترکہ کسان یونین کے بینر تلے مدرسہ معین الاسلام نوح کے شیخ الحدیث مفتی محمد زاہد قاسمی، مدرسہ کلیات الطاہرات میل کھیڑلا کے مہتمم مولانا ارشد قاسمی،،جمعیت علماء میوات کے جنرل سیکرٹری مفتی محمد سلیم قاسمی ساکرس،مشترکہ کسان یونین کے میوات کے سربراہ رمضان چودھری، میوات وکاس سبھا کے صدر سلام الدین ایڈووکیٹ، اپنے سینکڑوں حامیوں کے ہمراہ شاہجہاں پور، بارڈر پہنچے جہاں انہوں نے کسانوں کے ساتھ مل کر انکو یقین دہانی کرائی کہ میواتی کسان ملک کے کسانوں کے ساتھ شانہ بشانہ کھڑا ہے، وہیں ملک کی مشہور ومعروف سماجی تنظیم جمعیت علماء ہند،میوات کی مشہور ومعروف سماجی تنظیم میوات وکاس سبھا،میوات وکاس پنچایت الور، سمیت دیگر تنظیموں وعلاقہ میوات کے ہزاروں افراد نے شرکت کرکے کسان آندولن کو مضبوطی دے کر ہر ممکن مدد کی یقین دہانی کرائی ہے،مولانا شہاب الدین میل کھیڑلا، رمضان چودھری، عالم گمٹ، مفتی سلیم قاسمی ،مفتی محمد زاہد قاسمی، مولانا ارشد قاسمی،مولانا دلشاد قاسمی ہینگنپور، سلام الدین ایڈووکیٹ، مولانا شریف گنگوانی،مفتی سلیم قاسمی لگاتار اپنے وفد کے ہمراہ کسان آندولن میں پہنچ رہے ہیں، سماجی کارکن عالم گمٹ ،مشترکہ کسان مورچہ میوات کے سربراہ رمضان چودھری، میوات وکاس سبھا کے صدر سلام الدین ایڈووکیٹ نوٹکی، میو پنچایت کے صدر شیر محمد الور، جمعیت علماء الور کے صدر وبزرگ عالم دین مولانا حنیف مناکا، قاسم میواتی، قاری شاہان کشن گڑھ باس، برہان سلمبہ، یوتھ کانگریس میوات کے صدر مبارک نوٹکی، علی شیر ٹونکا، حاجی عباس کھیڑی، حسین فروزپور نمک، رشید احمد ایڈووکیٹ پونہانہ، جمعیت علماء متحدہ پنجاب کے نائب صدر مولانا حکیم الدین اشرف اٹاوڑی ،مولانا اکبر بھادس، مولانا رحیم الدین اشرف، حافظ مبارک کوٹ، سمیت سبھی نے ایک آواز میں کسانوں کے ساتھ جی جان سے قربانی دینے کا عہد کیا اور آخر تک اس لڑائی کو لڑنے کا فیصلہ کیا، اس موقع پر مولانا حکیم الدین اشرف اٹاوڑی،مفتی سلیم قاسمی لگاتار اپنے وفد کے ہمراہ کسان آندولن میں ڈٹے ہوئے ہیں، سماجی کارکن عالم گمٹ، مولانا رحیم الدین اشرف اٹاوڑی، مولانا اکبر بھادس، قاری محمد مبارک کوٹ، حافظ انیس،مشترکہ کسان مورچہ میوات کے سربراہ رمضان چودھری، میوات وکاس سبھا کے صدر سلام الدین ایڈووکیٹ نوٹکی،شہاب الدین، عالم گمٹ، مفتی سلیم قاسمی ،مفتی محمد زاہد قاسمی، مولانا ارشد قاسمی میل کھیڑلا، مولانا دلشاد ہینگنپور، سلام الدین ایڈووکیٹ، مولانا شریف گنگوانی، سماجی کارکن مولانا صابر مظاہری ساکرس ،وغیرہ سبھی کسانوں کی خدمت میں لگے ہوئے ہیں، مفتی محمد زاہد قاسمی نے کہا یہ لڑائی پنجاب، یا ہریانہ راجستھان کے کسانوں کی نہیں ہے یہ تو پورے ملک کی لڑائی ہے،مفتی زاہد نے اپنے خطاب میں کہا ملک کے نوے فیصد حصہ میں کسان بستا ہے،انہوں نے کہا آج ہمارے ملک کے وزیر اعظم کو صرف چند صنعتی کاروباریوں کی فکر ہے ملک کے عام آدمی، یا کسان کی کوئی فکر نہیں ہے،سبھی موجود لوگوں نے ایک آواز ہوکر کہا ہم یہ لڑائی کسان مخالف قانون کے واپسی تک مضبوطی کے ساتھ لڑینگے،

FMQ 25 December 2020
(Year 28 Vol 24)









 

حضرت افضل میاں کے انتقال پر مدرسہ رضویہ غوث العلوم میں دعا خوانی ہوئی


  کانپور 19 دسمبر:ماہریرہ شریف کے حضرت سید افضل میاں برکاتی کے انتقال پر ملال پر مدرسہ رضویہ غوث العلوم تلویٰ منڈی کوپر گنج میں دعا خوانی کا اہتمام کیا گیا مدرسہ ھٰذا کے پرنسپل حافظ واحد علی رضوی نے کہا کہ حضرت افضل میاں صاحب شہزادے احسن العلماء ہونے کے ساتھ نیک دل انسان تھے وہ آئی پی ایس ادھیکاری کے منصب پر مدہ پردیش میں تعینات تھے وہ کافی ماہ سے علیل تھے انکے انتقال پر خانداب برکات کے ساتھ ساتھ انکے عقیدتمندوں کو گہرا صدمہ پہونچا ہے لیکن مرضئی مولیٰ میں اب تک ہی زندگی تھی اللہ تبارک وتعالیٰ اپنے پیارے حبیب صلی اللہ علیہ وسلم کے صدقے حضرت کے درجات بلند فرما جملہ خاندان برکات و جملہ محبین کو صبر جمیل کی توفیق نصیب فرما اس سے قبل مدرسہ ھٰذا کے طلبہ نے بارگاہ رسالت مآب میں نعت و منقبد کے ساتھ درود وسلام کا نذرانہ پیش کیا بعدہُ فاتحہ خوانی ہوئی اور سنی جمعیة العلماء کانپور کے نائب صدر حافظ و قاری سید محمد فیصل جعفری نے حضرت کی مغفرت کی دعا کی شرکاء میں مولانا مبارک علی فیضی،حافظ سید محمد عظیم اشرفی،حیات ظفر ہاشمی،محمد طارق وغیرہ لوگ موجود تھے!


हज़रत अफज़ल मियाँ के इंतिक़ाल पर मदरसा गौसुल उलूम मे दुआ ख्वानी हुई

कानपुर:मारहरा शरीफ के हज़रत सैयद अफज़ल मियाँ बरकाती के इंतक़ाल पर मदरसा रज़विया गौसुल उलूम कोपरगंज तलव्वामंडी मे दुआ ख्वानी हुई मदरसा के प्रिसिंपल हाफिज़ वाहिद अली रज़वी ने कहा कि हजरत अफजल मियाँ बरकाती हज़रत अहसनुल उलेमा के शहज़ादे होने के साथ नेक दिल इंसान थे वह आई पी एस अधिकारी के पद पर मध्य प्रदेश मे तैनात रहे उनके इंतिक़ाल पर खानदाने बरकात के साथ साथ उनके अक़ीदतमंदो को गहरा सदमा पहुँचा है लेकिन अल्लाह की तरफ से जिन्दगी अब तक ही लिखी थी अल्लाह पाक उनके दरजात को बुलंद फरमाए और जुम्ला खानदाने बरकात व जुम्ला मुहिब्बीन को सब्रे जमील की तौफीक़ नसीब फरमा इससे पहले मदरसा के बच्चों ने बारगाहे रिसालत मे नात व मनक़बद और सलातो सलाम पेश किया फिर फातिहा ख्वानी हुई और हाफिज़ सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने हज़रत अफज़ल मियाँ की मगफिरत की दुआ की इस मौके पर मौलाना मुबारक अली फैज़ी,हाफिज़ सैयद मोहम्मद अज़ीम अशरफी,हयात ज़फर हाशमी मोहम्मद तारिक़ आदि लोग मौजूद थे!


ماہریرہ شریف کے حضرت سید افضل میاں کے وصال پر تنظیم بریلوی علمائے اہل سنت کی تعزیتی نشست

  کانپور 16 دسمبر:خانقاہ ماہریرہ مطہرہ کے سجادہ نشیں حضرت سید محمد امین میاں برکاتی کے برادر اصغر حضرت سید محند افضل میاں برکاتی کا منگل کی شب اتر پردیش کے ضلع علیگڑھ میں وصال ہو گیا (انا للہ وانا الیہ راجعون)  انکے وصال پر تنظیم بریلوی علمائے اہل سنت کی ایک تعزیتی نشست چمن گنج واقع تنظیم کے دفتر میں زیر صدارت حافظ و قاری سید محمد فیصل جعفری رضوی منعقد ہوئی جس میں حضرت  کے انتقال پر ملال پر گہرے رنج و غم کا اظہار کیا گیا حافظ فیصل جعفری نے کہا کہ حضرت سید افضل میاں برکاتی حضور احسن العلماء حضرت سید حسن میاں علیہ الرحمہ کے تیسرے شیزادے ہیں آپکی ولادت 11 مارچ 1964 کو ماہریرہ شریف میں ہوئی قرآن پاک گھر پر ہی مکمل کیا بعدہُ مسلم یونیورسٹی علی گڑھ سے ایل ایل بی اور ایل ایل ایم کیا 1990 میں آئی پی ایس میں منتخب ہوئے حضرت افضل میاں بھی اپنے برادر محترم حضور اشرف میاں برکاتی ہی کی طرح اردو میڈیم سے سول سروس میں منتخب ہوئے پولیس جیسے مہکمے میں ہونے کے باوجود جہاں جہاں تعینات رہے وہاں وہاں لیاقت،ایمانداری اور شرافت کا عمدہ معیار پیش کیا مدھ پردیش کے تمام بڑے افسران آپکے نام اور کام سے واقف ہیں آپ مسلم یونیورسٹی علی گڑھ اور جامعہ ملیہ اسلامیہ دہلی میں رجسٹرار بھی رہ چکے ہیں آپکی 18 سالہ ایمان دارانہ خدمت اور ملک کی حفاظت کے لئے 2011 میں صدر جمہوریہ ایوارڈ سے نوازا گیا حضرت افضل میاں زمانہ طالب علمی سے مسلم یونیورسٹی میں بہت مشہور تھے آپکی کتابوں اور گفتگو کے لوگ آج تک قائل ہیں مسلم یونیورسٹی سر سیس ڈبیٹ میں آپ نے 3 بار خطاب جیتا یونیورسٹی لیٹریری کلب کے سکریٹری رہے اوع گفتگو کے فن میں اپنا ایک الگ مقام بنایا اپنے بزرگوں کے نقش قدم پر چلتے ہوئے اسی درد مند دل غریب پروری و سخاوت کے جزبہ سے سرشار رہے اتنی مصروفیت ہونے کے باوجود سلسلہ برکاتیہ کی ترویج و اشاعت میں خوب کوشش فرماتے آپ البرکات ایجوکیشنل سوسائٹی کے فاؤنڈر اور ایکسکوٹیو ممبر رہے اور اس ادارے کے چلانے میں جو دشواریاں پیش آتی انھیں آپ ہی حل فرماتے اللہ تبارک وتعالیٰ اپنے حبیب صلی اللہ علیہ وسلم کے صدقے حضرت کی مغفرت فرمائے انکے درجات بلند فرمائے انکے جملہ اہل خانہ و محبین کو صبر جمیل و اجر جزیل کی توفیق عطا فرمائے تعزیت پیش کرنے والوں میں حافظ فیصل جعفری کے علاوہ تنظیم کے سرپرست اعلیٰ مفتی سید محمد اکمل میاں اشرفی،سرپرست مولانا الحاج نیر القادری،مفتی ممتاز عالم مصباحی،مفتی محمد کاظم رضا اویسی،مولانا محمد عمر قادری،مولانا مہدی حسن رضوی،مولانا محمد حسان قادری،مولانا ظہور عالم ازہری،قاری محمد اسلم برکاتی،حافظ شبیر حسین برکاتی،حافظ وارث رضا برکاتی،حافظ واحد علی رضوی،مولانا مبارک علی فیضی،حافظ محمد عرفان رضا قادری،حافظ فضیل احمد رضوی،حافظ محمد زبیر قادری،مولانا نور عالم رضوی،ضمیر خاں مشاہدی،الحاج محمد حسان ازہری،اقبال میر خاں صابری،تنویر رضا بیگ،حیدر علی،وسیم اللہ رضوی،کمال الدین،ضیاء الدین ازہری،احمد رضا ازہری،راجہ حسن ازہری،محمد عاقب برکاتی،محمد معین جعفری وغیرہ نے بھی حضرت کے انتقال پر ملال پر گہرے رنج و غم کا اظہار کیا ہے!

मारहरा शरीफ के सैयद अफज़ल मियाँ के विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत ने ताजियत पेश की

कानपुर:खानक़ाहे माहरहरा शरीफ के सज्जादानशीं हज़रत सैयद अमीन मियाँ बरकाती के छोटे भाई हज़रत सैयद अफज़ल मियाँ बरकाती का लंबी बीमारी के बाद मंगल की रात मे इंतिक़ाल हो गया उनके इंतिक़ाल पुर मलाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की एक ताजियती मीटिंग चमनगंज स्थित तन्ज़ीम के कार्यालय मे सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री की सदारत मे हुई जिसमे हज़रत के इंतिक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़हार किया गया हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री ने कहा कि

हज़रत सय्यद अफज़ल मियाँ बरकाती साहब हुज़ूर अहसनुल उलमा हज़रत हसन मियाँ अलैहिर्रहमा के तीसरे शहज़ादे हैं
आपकी विलादत 11 मार्च 1964 में मारहरा शरीफ में हुई
क़ुरआने पाक घर पर ही पढ़ा और बाद उसके मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ से L.L.B और L.L.M किया
1990 में IPS में चुने गए
हज़रत अफज़ल मियाँ साहब भी अपने ब्रादरे मोहतरम हुज़ूर अशरफ मियाँ बरकाती साहब ही की तरह उर्दू मीडियम से civil services में मुंतखिब हुए
पुलिस जैसे महकमा में होेने के बा वजूद जहाँ जहाँ तईनात रहे वहाँ वहाँ लियाक़त, ईमान दारी और शराफत का उम्दा मेयार पेश किया
मध्य प्रदेश के तमाम बड़े अफसरान आपके नाम और काम से वाकिफ हैं
आप मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ और जामिया मिल्लिया इस्लामिया देहली में रजिस्ट्रार भी रह चुके हैं
आपकी 18 साला ईमान दाराना खिदमत और मुल्क की हिफाज़त के लिये 2011 में सदरे जम्हूरिया अवार्ड से नवाज़ा गया
हज़रते अफज़ल मियाँ ज़मानए तालिबे इल्मी से ही मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बहुत मश्हूर थे
आपकी किताबों और गुफ्तगू के लोग आज तक क़ाएल हैं
मुस्लिम यूनिवर्सिटी सर सय्यद डिबेट में आपने 3 बार खिताब जीता 
यूनिवर्सिटी लेटरेरी क्लब के सिक्रेट्री रहे और गुफ्तगू के फन में अपना एक अलग मक़ाम बनाया
अपने बुज़ुर्गों के नक़्शे क़दम पर चलते हुए उसी दर्द मंद दिल, ग़रीब परवरी व सख़ावत के जज़्बे से सरशार रहे
इतनी मसरूफियत होने के बा वजूद सिलसिलए बरकातिया की तरवीज व इशाअत में ख़ूब कोशिशें फरमाते
आप अल बरकात एजूकेशनल सोसाइटी के फाउंडर और Executive member रहे और इस इदारे के चलाने में जो दुशवारियाँ पेश आतीं उन्हें आप ही हल फरमाते अल्लाह पाक अपने प्यारे हबीब सललल्लाहु अलैहे वसल्लम के सदक़े हज़रत की मगफिरत फरमाए उनके दरजात बुलंद फरमाए उनके जुम्ला अहले खाना क सब्रे जमील की तौफीक अता फरमाए ताजियत पेश करने वालो मे हाफिज़ फैसल जाफरी के अलावा तन्ज़ीम के सरपरस्ते आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी,मौलाना नय्यरूल क़ादरी,मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बाही,मुफ्ती काजिम रज़ा ओवैसी,मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी,मौलाना महदी हसन रज़वी,मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी,मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी,कारी मोहम्मद असलम बरकाती,हाफिज़ शब्बीर हुसैन बरकाती,हाफिज़ वारिस बरकाती,हाफिज़ वाहिद अली रज़वी,मौलाना मुबारक अली फैज़ी,हाफिज़ इरफान रज़ा क़ादरी,हाफिज़ फुज़ैल अहमद रज़वी,हाफिज़ ज़ुबैर कादरी,मौलाना नूर आलम रज़वी,ज़मीर खाँ मुशाहिदी,हाजी हस्सान अज़हरी,इकबाल मीर खाँ,हैदर अली,वसीमुल्लाह रज़वी,कमालुद्दीन,जियाउद्दीन अज़हरी,अहमद रज़ा अज़हरी,राजा हसन अज़हरी,हसीन अज़हरी,आकिब बरकाती,मोहम्मद मोईन जाफरी आदि ने भी हज़रत के इंतिक़ाल मुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़्हार किया है!

انسانیت آج جس دور سے گز رہی ہے اس کا علاج محبت کے مرہم کے سوا کچھ نہیں ہے.:یوسف رانا



ممبئی:۔(محمد یوسف رانا) ممبئی اردو ادب کے زیر اہتمام جمشیدپور سے آئی ہوئی مہمان شاعرہ محترمہ زینت جمشیدپوری کے اعزاز میں ایک اعزازی مشاعرہ کا انعقاد مورخہ 5 دسمبر سنیچر کی شام 5بجے ملاڈ ویسٹ مالونی کچے روڈ پرکیا گیا۔ جس کی صدارت ملاڈ مالونی کے بزرگ شاعر جناب عبدالروف صادق نے فرمائی۔ ابتداء میں کنوینر مشاعرہ یوسف رانا نے مشاعرہ کے اغراض و مقاصد بیان کرتے ہوئے کہا کہ اردو مشاعرے نئےقلمکاروں کے لئے حوصلہ افزاء ثابت ہوتے ہیں اردو کے مشاعرے گنگاجمنی تہذیب کے حقیقی علمبردار ہیں۔ ہمارے اسلاف کے نقش قدم پر چلتے ہوئے ہمیں انسانیت کی فلاح و بہبود اور رواداری کے ساتھ قومی یکجہتی کے لئے اس طرح کی محفلوں کا انعقاد کرتے رہنا چاہئے۔ انسانیت آج جس دور سے گز رہی ہے اس کا علاج محبت کے مرہم کے سوا کچھ نہیں ہے۔ مشاعرے کی نظامت یوسف رانا نے کی جبکہ شعرائے کرام میں فلم نغمہ نگار شاعر انجان ساگری، انو شاہ انور، منظر بلیاوی، ظفر امام،ثانی اسلم،محشر فیض آبادی، یوسف یلغار، عبدالرشید بشر،یوسف رانا، حبیب الہ آبادی،شاذ رمزی، اسحاق دانش، اجمل عارف اعظمی، عادل راہی، نوشاد عارض، نوشاد حیدراور جنید ساحل کے علاوہ ہندی فلموں اور ٹی وی سیریلوں کی بہترین اداکارہ شاعرہ شروتی بھٹا چاریہ ، صاحب اعزاز زینت جمشیدپوری نے بہت ہی خوبصورت کلام سے سامعین کو محظوط کیا۔مشاعرے کے آغاز سے قبل یوسف رانا نے تمام شعرائے کرام کا پھولوں سے استقبال کیا۔ خادم اردو ادب دلشاد ہاشمی کے شکریے اور صدربزم کے حکم پر اس مشاعرے کے ملتوی کرنے کا اعلان کیا گیا۔کرونا کی مہاماری کو دیکھتے ہوئے مشاعرے میں شوسل ڈسٹنس کا خاص طور پر دھیان رکھتے ہوئے تعلیمی، سیاسی، ثقافتی، مذہبی اور فلمی شخصیات نے شرکت فرمائی۔بعدہ تمام حاظرین کے لئے پرتکلف عشائیہ کا اہتمام بھی کیا گیا۔