मारहरा शरीफ के सैयद अफज़ल मियाँ के विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत ने ताजियत पेश की

कानपुर:खानक़ाहे माहरहरा शरीफ के सज्जादानशीं हज़रत सैयद अमीन मियाँ बरकाती के छोटे भाई हज़रत सैयद अफज़ल मियाँ बरकाती का लंबी बीमारी के बाद मंगल की रात मे इंतिक़ाल हो गया उनके इंतिक़ाल पुर मलाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की एक ताजियती मीटिंग चमनगंज स्थित तन्ज़ीम के कार्यालय मे सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री की सदारत मे हुई जिसमे हज़रत के इंतिक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़हार किया गया हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री ने कहा कि

हज़रत सय्यद अफज़ल मियाँ बरकाती साहब हुज़ूर अहसनुल उलमा हज़रत हसन मियाँ अलैहिर्रहमा के तीसरे शहज़ादे हैं
आपकी विलादत 11 मार्च 1964 में मारहरा शरीफ में हुई
क़ुरआने पाक घर पर ही पढ़ा और बाद उसके मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ से L.L.B और L.L.M किया
1990 में IPS में चुने गए
हज़रत अफज़ल मियाँ साहब भी अपने ब्रादरे मोहतरम हुज़ूर अशरफ मियाँ बरकाती साहब ही की तरह उर्दू मीडियम से civil services में मुंतखिब हुए
पुलिस जैसे महकमा में होेने के बा वजूद जहाँ जहाँ तईनात रहे वहाँ वहाँ लियाक़त, ईमान दारी और शराफत का उम्दा मेयार पेश किया
मध्य प्रदेश के तमाम बड़े अफसरान आपके नाम और काम से वाकिफ हैं
आप मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ और जामिया मिल्लिया इस्लामिया देहली में रजिस्ट्रार भी रह चुके हैं
आपकी 18 साला ईमान दाराना खिदमत और मुल्क की हिफाज़त के लिये 2011 में सदरे जम्हूरिया अवार्ड से नवाज़ा गया
हज़रते अफज़ल मियाँ ज़मानए तालिबे इल्मी से ही मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बहुत मश्हूर थे
आपकी किताबों और गुफ्तगू के लोग आज तक क़ाएल हैं
मुस्लिम यूनिवर्सिटी सर सय्यद डिबेट में आपने 3 बार खिताब जीता 
यूनिवर्सिटी लेटरेरी क्लब के सिक्रेट्री रहे और गुफ्तगू के फन में अपना एक अलग मक़ाम बनाया
अपने बुज़ुर्गों के नक़्शे क़दम पर चलते हुए उसी दर्द मंद दिल, ग़रीब परवरी व सख़ावत के जज़्बे से सरशार रहे
इतनी मसरूफियत होने के बा वजूद सिलसिलए बरकातिया की तरवीज व इशाअत में ख़ूब कोशिशें फरमाते
आप अल बरकात एजूकेशनल सोसाइटी के फाउंडर और Executive member रहे और इस इदारे के चलाने में जो दुशवारियाँ पेश आतीं उन्हें आप ही हल फरमाते अल्लाह पाक अपने प्यारे हबीब सललल्लाहु अलैहे वसल्लम के सदक़े हज़रत की मगफिरत फरमाए उनके दरजात बुलंद फरमाए उनके जुम्ला अहले खाना क सब्रे जमील की तौफीक अता फरमाए ताजियत पेश करने वालो मे हाफिज़ फैसल जाफरी के अलावा तन्ज़ीम के सरपरस्ते आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी,मौलाना नय्यरूल क़ादरी,मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बाही,मुफ्ती काजिम रज़ा ओवैसी,मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी,मौलाना महदी हसन रज़वी,मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी,मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी,कारी मोहम्मद असलम बरकाती,हाफिज़ शब्बीर हुसैन बरकाती,हाफिज़ वारिस बरकाती,हाफिज़ वाहिद अली रज़वी,मौलाना मुबारक अली फैज़ी,हाफिज़ इरफान रज़ा क़ादरी,हाफिज़ फुज़ैल अहमद रज़वी,हाफिज़ ज़ुबैर कादरी,मौलाना नूर आलम रज़वी,ज़मीर खाँ मुशाहिदी,हाजी हस्सान अज़हरी,इकबाल मीर खाँ,हैदर अली,वसीमुल्लाह रज़वी,कमालुद्दीन,जियाउद्दीन अज़हरी,अहमद रज़ा अज़हरी,राजा हसन अज़हरी,हसीन अज़हरी,आकिब बरकाती,मोहम्मद मोईन जाफरी आदि ने भी हज़रत के इंतिक़ाल मुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़्हार किया है!

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