तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने आमदे रसूल का आठवाँ जलसा मछरिया मे हुआ

----------------------------कानपुर:महफिले मीलाद में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादते बा सआदत का बयान और उसी के जिम्न में आपके फज़ाएल व मोजिज़ात के साथ ही आपकी पाकीज़ा सीरत और हालाते जिन्दगी का जिक्रे जमील होता है, इन चीज़ों का जिक्र क़ुरआने मजीद और अहादीसे करीमा में भी बकसरत मौजूद है

अगर मुसलमान अपनी महफिलों में इन मुक़द्दस मज़ामीन को बयान करें बल्कि ख़ास इन्ही बातों को बयान करने के लिये ही महफिलें मुनअकिद करें को भला इसके नाजाएज़ होने में भला क्या वजह हो सकती है?
यक़ीनन एैसी महफिलें जाएज़ ही नहीं बल्कि बाइसे ख़ैर व बरकत होती हैं, एैसी महफिलों के लिये लोगों को बुलाना भलाई की तरफ बुलाना है जो कारे सवाब है इन ख्यालात का इज़हार तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जामिया नूरिया मदीनतुल उलूम मुस्तफा नगर मछरिया मे हुए जशने आमदे रसूल के आठवाँ जलसे मे तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी  ने किया मुफ्ती-ए-आज़म  कानपुर मुफ्ती मोहम्मद इलियास खाँ नूरी की सरपरस्ती तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी की सदारत मे हुए जलसे को मौलाना ने आगे कहा कि
पैगम्बरे इस्लाम ने मज़हबे इस्लाम का प्रचार अपने इख्लाक़ व किरदार से किया आज जो हम लोगो को दर्स मिला है यह मेरे आक़ा का सदक़ा है उन्होने कहा कि मीलादे पाक की महफिलों में वक़्ते विलादत खड़े होकर सलात व सलाम पढ़ना हमारे अस्लाफ का तरीक़ा है, अरब व अजम में बड़े बड़े उल्मा व मशाएख़ ने इस क़यामे सलात व सलाम को मुस्तहब फरमाया है
कुछ अकाबिर औलिया को तो मीलाद शरीफ की महफिल में नबिये पाक अलैहिस्सलाम की जियारत का शर्फ भी हासिल हुआ है
इसी तरह हुज़ूर जिसे चाहें अपना जमाले जहाँ आरा दिखाएँ क्यूँकि उनके रब ने उनको हयाते जावेदानी अता फरमाई है और बड़ी बड़ी ताक़तों का बादशाह बल्कि शहंशाह बनाया है इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि जशने चिरागां के मौके पर अपने घरो को सजाए नबी के नाम की मीलाद करें उनके नक्शे क़दम पर चलें  मौलाना मोहम्मद इसराईल क़ादरी ने कहा कि पैगम्बरे इस्लाम के एक इशारे पर चाँद के दो टुकड़े होना डूबे हुए सूरज का वापस होना यह भी नबी के मोजिज़ो मे एक मोजिज़ा है इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते क़ुरान पाक से हाफिज़ मोहम्मद उस्मान ने किया हाफिज मन्सूर, हाफिज तन्वीर निजामी,हाफिज ज़ीशान ने बारगाहे रिसालत मे नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व मुफ्ती-ए-आज़म कानपुर की दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद लंगर तकसीम किया गया इस मौके पर मौलाना मोहम्मद मेराज,सूफी अकील अहमद,मोहम्मद सलीम, इम्तियाज अहमद,मोहम्मद अबसार,रईस मस्तान,मुज़फ्फ़र एहरार आदि लोग मौजूद थे!

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