किसी मुसल्मान को हरगिज़ हकीर मत समझो मौलाना मोईनउद्दीन

 

*फरमाने हज़रते अबू बकर सिद्दीक राजियल्लाहू  अन्हु*

.,...आज कानपुर चमन गंज  कशनाए मोईने मिलत पर एक अजीमुशन जलसा बनाम जश्ने सिदीक अकबर राज़ी आलहू ताला अनहु बड़े ही तुज़को एहतेशाम के साथ मनाया गया। जिस की सरपरस्ती खलिफाए होजुर तहिरे मिलते हजरत अल्लामा मौलाना मोईनुल कादरी रजवी खतीबो इमाम मस्जिद गरीब नवाज रूपम चौराहा कानपुर ।और सदारत हजरत कारी अल्हाज मोहमद नौशाद रज़ा अज़हरी नज़ीमे आला मदरसा गुलश्ने बरकात निस्वान  कानपुर ने फरमाआई जश्न का आगाज तिलावते कुरान पाक से मोजाहिदे सुन्नियत हजरत कारी असरार रजवी  प्रिंसपल मदरसा जमालिया मीर पुर कैंट ने किया जबकि नाते पाक का नजराना आलमी शुहरत याफ्ता  शाऐर  हजरत कारी फैसल आलिमी साहब मोरेशेस ।वा उस्ताजुश शोरा हजरत अल्लामा जका उल्ला सना चिश्ती साहब ने पेश किया। 

इस मौके पर तंजीम पैगामे सुबह अदब के बनी हजरत मौलाना हम्माद अनवर बरकाती साहब ने खेताब करते हुए कहा की अमीरूल मोमेनीन सैय्यदना सिद्दीक अकबर का फरमान है की कोई भी  अदना मुसल्मान अल्लाह पाक के नजदीक बड़े मर्तबे वाला होता है।सय्यदुना अबू बकर सिद्दीक राजियल्लाहू अन्हु ने एक दिन परिंदे को देख कर इरशाद फ़रमाया: ऐ परिंदे! काश मैं तेरी तरह होता और मुझे इंसान न बनाया जाता। सदारती खुतबा फरमाते हुए हजरत कारी नौशाद रज़ा अजहरी ने फरमाया हज़रते अबू बकर सिद्दीक राजियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं ।

ऐ लोगो! खौफे खुदा से तुम में से जो रो सके वोह रोए कि वोह दिन आने वाला है कि तुम रुलाये जाओगे। अकरम रज़ा कानपुरी ने आखिर में सलाम पढ़ाया और मौलाना शान मोहमद मिस्बाही साहब ने दुआ कराई । इस मौके पर कारी इदरीस राजा ।कारी आरिफ साहब ।हाफिज सदाम साहब कारी नजीर बरकाती साहब कारी गुलाम मोहमद साहब मौजूद रहे।


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