तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम कोपरगंज मे यौमे फारूक़े आज़म मनाया गया


कानपुर:इस्लाम के दूसरे खलीफा अमीरूल मोमिनीन हज़रत उमर फारूक़ रजि अल्लाहु अन्हु की  यौमे शहादत पर खिराजे अकीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम मदरसा रज़विया गौसुल उलूम तलव्वामंडी कोपरगंज मे यौमे फारूक़े आज़म मनाया गया जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफ़री और क़यादत मौलाना जहूर आलम ने की मौलाना मुर्तज़ा शरीफी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि हज़रते उमर रजि अल्लाहु अन्हु का नाम उमर है और वालिद का नाम खत्ताब है आँठवीं पुश्त मे आपका शिजरा पैगम्बरे इस्लाम से मिलता है तिरमिज़ी शरीफ की हदीस है कि पैगम्बरे इस्लाम दुआ फरमाते थे या इलाहल आलमीन उमर बिन खत्ताब और अबु जहल बमन हिशाम मे से जो तुझे प्यारा हो उससे तू इस्लाम को इज़्ज़त अता फरमा और दूसरी तरफ पैगम्बरे इस्लाम ने इस तरह दुआ फरमाई या अल्लाह खासतौर से उमर बिन खत्ताब को मुसलमान बनाकर इस्लाम को इज्जत व कुव्वत अता फरमा तो अल्लाह के महबूब की यह सदा बारगाहे इलाही मे कुबूल हो गई और हज़रते उमर इस्लाम से मुशर्रफ हो गए पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया अगर मेरे बाद कोई नबी होता तो वह उमर होते एक जगह इरशाद फरमाया कि उमर मुझसे हैं और मै उमर से हूँ और उमर जिस जगह होते हैं हक उनके साथ होता है उम्मल मोमिनीन हज़रते आयशा सिद्दीक़ा रजि अल्लाहु अन्हा फरमाती हैं कि मै बिला शुबा निगाहे नबूव्वत से देख रहा हूँ कि जिन के शैतान भी और इन्सान के शैतान भी दोनो मेरे उमर के खौफ से भागते हैं यह रोआब व दबदबा है फारूके आज़म का चाहे जिन का शैतान हो या इन्सान का दोनो उनके खौफ से भाग जाते हैं हज़रते इब्ने साबित रजि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हज़रत उमर फारूके आज़म जब किसी शख्स को कहीं का वाली मुकर्रर फरमाते तो उससे चन्द शर्तें लिखवा लेते पहली यह कि वह तर्की घोड़े पर सवार नही होगा दूसरा यह कि वह आला दर्जे का खाना नही खाएगा तीसरा यह कि वह बारीक कपड़े नही पहनेगा चौथा यह कि हाजत वालों के लिए अपने दरवाज़ो को बंद नही रखेगा फिर जो शख्स इन शर्तों की पाबंदी नही करता था उसके साथ निहायत सख्ती से पेश आया करते थे हजरत उमर फारूक रिआया की खबरगीरी के लिए मदीना तय्यबा की गलियों मे रातों को गश्त लगाया करते थे आपने बारगाहे इलाही मे दुआ की या अल्लाह मुझे अपनी राह मे शहादत अता फरमा और अपने रसूल के शहर मे मुझे मौत नसीब फरमा आपकी दुआ अल्लाह ने क़ुबूल फरमा ली 26 जिल हिज्जा 23 हिजरी दिन बुध को आप जख्मी हुए और तीन दिन बाद दस बरस छै माह चार दिन खिलाफत को अंजाम देकर 63 साल की उम्र मे वफात पाई इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते कुरान पाक से हाफिज़ वाहिद अली रज़वी ने किया और निजामत शब्बीर अशरफी ने की  मौलाना मुबारक अली फैज़ी, हाफिज मोहम्मद फैज़,हाफिज साकिब,हाफिज तौफीक ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद फातिहा ख्वानी हुई और दुआ की गई फिर शीरनी तकसीम हुई इस मौके पर हाफिज बिलाल रज़ा!मोहम्मद इलियास गोपी,मोहम्मद अनीस,मोहम्मद परवेज़ अनवर,उरूज आलम  आदि लोग मौजूद थे

इसी तरह तहरीक-ए-जाअल हक़ की जानिब से शुजातगंज स्थित अजमेरी जामा मस्जिद मे यौमे फारूक-ए-आज़म मनाया गया जिसको मौलाना इन्तिखाब रज़वी ने खिताब किया तहरीक के सदर मोहम्मद आफताब अज़हरी ने आए हुए मेहमानो का शुक्रिया अदा किया इस मौके पर मौलाना अक़ील चिश्ती,मोहम्मद चाँद,रियाज अहमद,जियाउद्दीन,साबिर फरीदी,जमील खैराबादी आदि लोग मौजूद थे!

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