ऐ अल्लाह उत्तराखंड पर रहम कर



कानपुर 07 फरवरी पैगंबर ए इस्लाम के ससुर, इस्लाम के पहले खलीफा हज़रत अबू बकर सिद्दीक (रजि०अन०) के यौमे सिद्दीक अकबर पर खानकाहे हुसैनी में खिराज ए अकीदत, नात मनकबत व दुआ का प्रोग्राम हुआ।

सुबह 11 बजे खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह पर प्रोग्राम की शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ मोहम्मद कफील हुसैन ने की उसके बाद नात/मनकबत हुई जिसमें अबू बकर सिद्दीक रजि०अन० को खिराज ए अकीदत पेश करते हुए खानकाहे हुसैनी के साहिबे सज्जादा इखलाक अहमद डेविड ने कहा नबी के घर के बाद मर्दों में सबसे पहले इमान लाये और सबसे पहले हुजू़र के साथ नमाज़ पढ़ने का शर्फ आपको मिला और लकब सिद्दीक पैगंबर ए इस्लाम ने दिया। गरीबों मज़लूमों की मदद करने में पूरी दुनियां में उनके जैसा कोई मसीहा नही था सखावत की सीख पूरी दुनियां को सीखाने का कार्य अबू बकर सिद्दीक रजि०अन० ही सीखा गये खलीफा बनने पर सबसे पहले हज़रत उमर फारुख रजि० अन० ने बैत की।

खिताब के बाद दुआ हुई दुआ में ऐअल्लाह अपने हबीब मौला अली अबू बकर सिद्दीक के सदके में उत्तराखंड में कुदरत के कहर से मानव जीवन व देश को कम से कम नुकसान हो, हमारे मुल्क सूबे व शहर में अमन खुशहाली तरक्की दे, नमाज़ की पाबंदी करने कुदरत के कहर से बचाने की दुआ गिड़गिड़ा कर की।

प्रोग्राम में इखलाक अहमद डेविड, सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती, अबरार अहमद वारसी, मोहम्मद शाहिद चिश्ती, हाफिज़ मोहम्मद कफील हुसैन, आसिफ वारसी, परवेज़ आलम, मोहम्मद हाफिज़, हाजी मोहम्मद शाबान, मोहम्मद जावेद, एजाज़ रशीद, शफाआत हुसैन, इरफान अशरफी, इस्लाम खान, हाफिज़ रेहान, मोहम्मद शादाब, नूर आलम, हाफिज़ हसीब, शारिक वारसी, मोहम्मद अनवार नियाज़ी, मोहम्मद रज़ा अज़हरी, फाज़िल चिश्ती, माबूद खान, जमालुद्दीन आदि लोग मौजूद थे।

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