संसद में बिल लाकर गाय की खरीद व फरोख्त (क्रय-विक्रय) पर पाबन्दी लगा दी जाय

कानपुर, 12 अगस्त। गौरक्षा के नाम पर बेकसूरों का कत्ल इन्साफ नहीं, गौरक्षा के सम्बन्ध में सख्त कानून बनाने की जरूरत है। संसद में एक ऐसा बिल पास होना चाहिए जिसमें गाय की खरीद-फरोख्त (क्रय-विक्रय) पर पाबन्दी लगा दी जाए। उक्त विचार आल इण्डिया गरीब नवाज कौंसिल के तत्वावधान में ‘‘वतन की आजादी और उल्मा-ए-अहले सुन्नत की कुरबानियां’’ के विशय पर आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए कौंसिल के राश्ट्रीय अध्यक्ष हजरत मौलाना मोहम्मद हाषिम अषरफी ने असलम चिष्ती हाॅल, चिष्ती नगर में व्यक्त किये। 
श्री अषरफी ने कहा कि गाय की सुरक्षा जितनी जरूरी है उसके साथ-साथ इन्सानों की सुरक्षा की जरूरत है और सरकार को इन्सानों के जान-व-माल और इज्जत की सुरक्षा करनी चाहिए।
हमारे देष में प्रत्येक 6 घण्टे में एक बेटी से सामूहिक बलात्कार हो रहा है जो मुल्क को षर्मनाक करने के लिये काफी है। राज्य सरकारों को इस बात की तरफ ठोस कदम और सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है।
श्री अषरफी ने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक को बदनाम करने की साजिष की जा रही है। यह लोग हिन्दुस्तान के वफादार नहीं हैं। लेकिन षायद वह इतिहास के पन्नों से बेखबर है। मुसलमानों का भारत की आजादी में प्रथम योगदान  है। उस समय की बात है कि अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद का नारा बुलन्द करने वाला कोई दूसरा नहीं बल्कि षाह अब्दुल अजीज मोहद्दिसे देहलवी ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले जिहाद का नारा दिया था। उस समय के बड़े उलेमा मौलाना फजले हक खैराबादी ने न केवल अंग्रेजों के खिलाफ फतवा दिया बल्कि बहादुर षाह जफर के साथ मिलकर अंग्रेजों से मोर्चा भी संभाला।
उस समय के बड़े बड़े उलेमा ने भारत की आजादी में अपना कलम अपनी जुबान और दांव-पेच इस ख्याल से लगा दिया है कि हमारा देष सोने की चूड़ियां गौरों के चंगुल से आजाद हो जाये।
इन्साफ का तकाजा था कि वतन के मुजाहिदीन के कारनामों को सराहा जाता मगर दुख का विशय है कि इन्साफ का तराजू कायम न रह सका।
इससे पूर्व जलसे की षुरुआत तिलावते कुरान पाक से हाफिज मिनहाजुद्दीन कादरी ने की और बारगाहे रिसालत में यूसुफ रजा कानपुरी, मौलाना खुर्षीद ने नात षरीफ का नजराना पेष किया।
जलसे की अध्यक्षता आल इण्डिया गरीब नवाज कौंसिल के षहर अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद महताब आलम कादरी न संचालन मौलाना सुबहान अल्लाह ने दी।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से मोहम्मद षाह आजम बरकाती, हाफिज अब्दुल रहीम बहराइची, मौलाना सुहैल मिस्बाही, मौलाना आजाद अषरफी, मौलाना कलीम, मौलाना नदीम, मौलाना खुर्षीद, हाफिज अब्दुल समद, मास्टर इकबाल नूरी, षमषाद गाजी, अब्दुल रहमान, माजिद खान, दिलदार गाजी इत्यादि उपस्थित रहे।

No comments:

Post a Comment