राष्ट्र के लिये प्राण  न्यौछावर किये अशफाक उल्लाह खान ने..... हयात ज़फर हाशमी 

कानपुर आज 22 अक्टूबर 2017 एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन द्वारा महान क्रांतिकारी शहीद अशफाकउल्ला खान की जयंती पर उन्हें याद कर उन्हें खेराज ए अकिदत जुही लाल कालोनी स्थित कुआँ वाला चौराहे पर किया गया ! - जलसे की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी व संचालन राष्ट्रीय सचिव हाजी अखलाक मिर्जा ने किया, कार्यक्रम संयोजक जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद इमरान खान छंगा पठान रहे। इस अवसर पर शहीद अशफ़ाक उल्ला खाँ को खेराज ए अकिदत पेश करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी ने कहा कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख क्रान्तिकारियों में से एक थे अशफाक उल्लाह। वे पं रामप्रसाद बिस्मिल के विशेष स्नेहपात्र थे। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफाक उल्ला खाँ भी शायरी करते थे।  आपका जन्म 22 अक्तूबर 1900 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका दिया गया अफसोस का विषय है कि राष्ट्र प्रेम मे हंसते हुए फांसी के फंदे को चूमने वाले अशफाक उल्लाह खान को आज भुला दिया गया है ।
हाशमी ने आगे बताया कि उनका उर्दू तखल्लुस/उपनाम 'हसरत' था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में आलेख व कवितायें करते थे।  भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास में बिस्मिल और अशफाक की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का बेजोड़ उदाहरण है।
कार्यक्रम संयोजक मोहम्मद इमरान खान चंगा पठान ने कहा कि यह वह अशफाकुल्लाह खान हैं जिन्होंने अपना जीवन अपनी जवानी वतन के नाम कुर्बान कर दी आप को जब फांसी देने वाले थे उस समय पंडित राम प्रसाद बिस्मिल साहब बोल रहे थे कि मैं शहीद हो जाऊंगा फिर वापस आऊंगा मैं शहीद हो जाऊंगा फिर वापस आऊंगा और अशफाक उल्ला खान साहब बोल रहे थे कि अगर मुझसे अल्लाह पूछेगा कि तुझे जन्नत चाहिए या पुनर्जन्म तो मैं कह दूंगा मुझे पुनर्जन्म चाहिए देश के लिए शहीद होने के लिए फिर से वापस आ जाऊंगा मतलब वह मुल्क की मोहब्बत देश के लिए जन्नत को निछावर कर रहे हैं आपने सुना होगा लोगों को की घर परिवार बच्चे छोड़ देते थे उनका बलिदान दे देते थे लेकिन अशफाक उल्ला खान ने जन्नत को ही कुर्बान करे दे रहे हैं आपसे पूछा गया कि आप की आखिरी ख्वाहिश क्या है तो आपने कहा कि वतन की मिट्टी हो मेरे कफन में, यह सोच थी अशफाक उल्ला खान साहब की आज के नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है अशफ़ाक़ उल्ला खान साहब और नौजवानों को अशफाक उल्ला खान साहब से प्रेरणा लेनी चाहिए
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात ज़फर हाशमी,मोहम्मद इमरान खान छंगा पठान, हाजी इखलाक मिर्जा, जिला अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ कादरी, रईस अन्सारी, नियाज उस्मानी, अज़ीज़, अहमद खान, अयाज़ काज़ी,मुन्ना,इम्तियाज अहमद, रामबालक कनौजिया, रियाज़ अहमद गुड्डू, मोनू पठान, इज़हार आलम, शारिक खां जावेद आदि थे

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