माॅर्निंग वाकर्स के लिए आफत बने आवारा कुत्ते
कानपुर। शहर के हर चैराहे, रास्ते, गलियों के साथ पार्को में बडी संख्या में आवारा कुत्तों ने लोगो का चैन छीन लिया है। नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी का खामयाजा शहरवासी भोग रहे है। आवारा पशुओं को पकडने, कुत्तो के बाध्यकरण आदि की योजनाये बनाने वाले सिर्फ कागज के आंकडो को दुरूस्त करने में लगे रहते है उन्हे वास्तविकता से कोई लेना देना नही। आज शहर की हर पार्क में जहां मार्निंग वाकर्स सुबह टहने के लिए आते है उनके लिए यह कुत्ते किसी खौफ से कम नही है।
          शहर में आवारा कुत्तो का आतंक लगातार बढता जा रहा है दिन भर जहां सडक पर राहगीर इन कुत्तो से परेशान रहते है तो रात में यही कुत्ते आक्रामक हो जाते है। इसके साथ ही कुत्तो के खौफ के कारण पार्को व सडकों पर सुबह टहलने वाले लोगों की भी संख्या कम होती जा रही है। यह सच्चाई भी है। सुबह टहलने वालो में एक भी व्यक्ति ऐसा नही था जिसने कुत्तो की बढती तादात और सुबह सन्नाटे में उनके द्वारा काटे जाने के भय से इंकार न किया हो। एक ओर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए अरबो रू0 खर्च करने की योजनाये तैयार है तो वहंी इन आवारा जानवरो को नही पकडने की प्रक्रिया बंद पडी है, जबकि लाखों रू0 इसी मद में नगर निगम खर्च कर रहा है। बताते चले कि फूलबाग कम्पनी बाग, ग्रीनपार्क, वीआईपी रोड, कं0 बाग नवाबगंज, मोतीझील आदि अन्य स्ािानों पर सुबह माॅर्निग वाकर्स टहलने आते है जिसमें वृद्ध महिलाये पुरूषो के साथ लगभग हर उम्र के लोग भी होते है। सुबह घर से लेकर पार्क तक कुत्तो की फौज अब माॅर्निंग वार्कस को डराने लगी है। नगर निगम अधिकारियों के कानों में जूं नही रेंग रही। इस मद का पैसा कहां जा रहा है, काम हो रहा या नही इससे किसी को कोई सरोकार नही। जहां रोजारा कुत्तो के काटने व अन्य आवारा पशुओं से लोग परेशान हो रहे है तो वहीं कई लोग अभी तक अपनी जान भी गंवा चुके है। नगर आयुक्त विनाश सिंह ने कुछ समय पूर्व कहा था कि कुत्तो को हटाने के लिए टीम लगाई जायेगी, लेकिन अभी तक न ही कुत्ते पकडने की टीम का गठन हुआ है और जो मौजूदा कर्मचारी है वह भी आवारा जानवरो को नही पकड रहे है और यह बडी लापरवाही आये दिन सडक पर चलने वालो के लिए जानलेवा साबित होती जा रही है।

No comments:

Post a Comment