मुफ्ती अबु तालिब फैज़ी के इंतक़ाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत ने ताजियत पेश की

कानपुर:इब्तिदाए दुनिया से अब तक लोग का आना जाना लगा हुआ है यही निज़ामे क़ुदरत है और यही वह सच है जिसे हर मज़हब का मानने वाला तस्लीम करता है

हर नई चीज़ को पुराना होना है और हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है

आदाद शुमारी ही नहीं हो सकती कि हमने अब तक अपनी आँखों से कितने जनाज़े देखे और कितनी मय्यतों को काँधा दिया

चार छ दिन में हम अकसर लोगों को भुला कर फिर अपनी एैश व इशरत में मश्ग़ूल हो जाते हैं लेकिन उनमें ही कुछ ख़ास अफराद एैसे भी होते हैं जिनकी जुदाई बर्दाश्त से बाहर होती है

ख़लीफए हुज़ूर आले रसूल फक़ीहे मिल्लत हज़रते अल्लामा मुफ्ती अबू तालिब फैज़ी अलैहिर्रहमा शैख़ुल हदीस जामिया नूरुल उलूम सुलतानपुर आलमे इस्लाम की एक बहुत ही संजीदा व अबक़री शख़्सियत थे उनके इंतक़ाल पुर मलाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की एक ताजियती मीटिंग चमनगंज स्थित तन्ज़ीम के कार्यालय मे सदर हाफिज व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री की सदारत मे हुई जिसमे हज़रत के इंतक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़्हार किया गया हाफिज फैसल जाफरी ने कहा कि हज़रत

मज़कूरा इदारे में एक सरकारी टीचर थे लेकिन कभी ख़ाना पूरी ना की बल्कि पूरी मेहनत और लगन के साथ तल्बा को पढ़ा कर ना जितने कितने उल्मा पैदा फरमा दिये

तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी ने कहा कि हज़रत अक्सर जलसों में ख़िताबत फरमाते जो अवाम व ख़वास के लिये यकसाँ मुफीद साबित होती

जो बुलाता उसके यहाँ जाते और कभी किसी से नज़राने शुक्राने की कोई उम्मीद ना रखते

जो कोई कुछ दे देता रख लेते और ना देता तो हर्फे शिकायत ज़बान पर ना लाते

तदरीस व ख़िताबत के साथ तस्नीफी कामों में भी अकसर मसरूफ रहते

दो मौक़े पर राक़िमुल हुरूफ (मोहम्मद हस्सान क़ादरी) ने हज़रत को शहरे कानपुर मदऊ किया, आप आए और हमारी तन्ज़ीम के जलसे मे ख़िताब फरमा कर लोगों को अपना गिरवीदा बना गए

हज़रते मौसूफ मुझ नाचीज़ से बड़ी मोहब्बत फरमाते थे, अकसर कॉल करके ख़ैरियत भी लेते और ख़ूब दुआओं से भी नवाज़ते

मैंने आपकी परहैज़गारी को बचश्मे ख़ुद देखा कि जलसे वाली पूरी रात जागे, फज्र पढ़ कर हम सारे लोग बिस्तर पर लेट गए जब्कि हज़रते मौसूफ क़ुरआने पाक लेकर बैठ गए और तिलावत फरमाने लगे

मैंने कहा हुज़ूर कुछ देर आराम फरमाने के बाद तिलावत फरमा लें कि सफर की थकान और रात भर के जलसे में जागे हैं

फरमाया यह मेरा मामूल है कि मैं कितना ही थका रहूँ तिलावत मौक़ूफ नहीं करता

तक़रीबन 15 रोज़ पहले एक जलसे में जा रहे थे कि रास्ते में गाड़ी का एकेसीडेंट हो गया जिसमें आपको शदीद चोटें आ गईं

लखनऊ के एक हॉस्पिटल के आई, सी, यू में ज़ेरे इलाज थे लेकिन रब की रज़ा के तहत 22 दिसम्बर 2021 बरोज़ बुध रात 1:30 बजे इस दुनियाए फानी को अलविदा कह कर अपने माबूदे हक़ीक़ी से जा मिले

हज़रत हम सबको बड़ा याद आएँगे और हम बच्चों को जब जब उनकी शफक़तें याद आएँगी हम बड़ा रोएँगे

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हज़रते मौसूफ की तुरबत को अपने अनवार से भर दे और आपकी दीनी काविशों को क़ुबूल फरमाए

आपके जुम्ला मुहिब्बीन को सब्रे जमील पर अज्रे जज़ील अता फरमाए और हमारी मुबारक जमाअत को आपका बेहतर बद्ल अता फरमाए ताजियत पेश करने वालो मे हाफिज फैसल जाफरी के अलावा तन्ज़ीम के सरपरस्ते आला मुफ्ती सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी, सरपरस्त मौलाना नय्यरूल क़ादरी, मुफ्ती मुम्ताज़ आलम मिस्बाही, मुफ्ती काजिम रज़ा ओवैसी, मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी, मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी, मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी,हाफिज सैय्यद अज़ीम अशरफी, हाफिज वाहिद अली रजवी, मौलाना मुबारक अली फैज़ी, हाफिज हसरत अली, कारी आदिल अज़हरी, हाफिज इरफान रजा कादरी,हाफिज जुबैर क़ादरी, हाफिज फुजैल रज़वी, मौलाना इरफान कादरी, हाफिज तन्वीर निज़ामी, कारी वारिस बरकाती, हाफिज अकबर ओवैसी,हाफिज शौकत अली अज़हरी,हाफिज खालिद,मौलाना मोहम्मद मेराज, हयात ज़फर हाशमी, मोहम्मद इलियास गोपी, हैदर अली,आफताब अज़हरी,  वसीमुल्लाह रज़वी, कमालुद्दीन,हाजी हस्सान अज़हरी, महबूब गुफरान अज़हरी, शादाब रज़ा, अब्दुस्सलाम,मोहम्मद ईशान,  मोहम्मद मोईन जाफरी आदि ने भी हज़रत के इंतक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो गम का इज़्हार किया है!

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