हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन रजि के यौमे विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले की जानिब से नज़र पेश की गई

कानपुर:18 मोहर्रमुल हराम को नवासए रसूल हज़रते इमामे हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु के शहज़ादे (बेटे) आबिदे बीमार हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन रजि अल्लाहु अन्हु की यौमे विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से चमनगंज मे नज़र पेश की गई इस मौके पर तन्ज़ीम के सदर हाफिज व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने खिराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि आपकी विलादत 5 शाबान 38 हिजरी में मदीनतुल मुनव्वरा में हुई ,आप के वालिद बुज़ुर्गवार हज़रत सय्यिदना इमाम हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु अपने वालिद माजिद हज़रत सय्यिदुना अली रजि अल्लाहु अन्हु से इज़हारे अक़ीदत के लिए अपने बच्चों के नाम अली रखते थे,इसी मुनासबत से इमाम ज़ैनुल आबेदीन रजि अल्लाहु अन्हु का नाम भी अली है और कुन्नियत अबु मुहम्मद,अबुलहुसैन, अबुलकासिम,और अबूबकर है , जबकि कसरते इबादत के सबब आपका लक़ब सज्जाद , ज़ैनुल आबेदीन ,सय्यिदुल आबेदीन और अमीन है,आपकी वालिदा माजिदा हज़रत सय्यिदुना शहर बानों रजि अल्लाहु अन्हुमा फारस के आखिरी बादशाह यज़्द ज़र्द की बेटी थी ,आप रजि अल्लाहु तआला अन्हु ने 2 साल तक अपने दादा हुजूर हज़रत सय्यिदुना अली मुर्तज़ा रजि अल्लाहु अन्हु की आगोश-ए-आतिफत में परवरिश पाई फिर 10 साल अपने ताया जान हज़रत सय्यिदुना इमाम हसन रजि अल्लाहु अन्हु के ज़ेरे साया रहे और तक़रीबन 11 साल अपने वालिद माजिद हज़रत सय्यिदुना इमाम हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु के ज़ेरे निगरानी तरबियत पाकर उलूम-ए-मआरफत की मंज़िल तय कीं,
तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी ने खिराज पेश करते हुए कहा कि मैदान-ए-कर्बला की तरफ जाने वाले हुसैनी काफिले के शिरका में आप भी शामिल थे मगर जब 10 मोहर्रमुल हराम को बज़्मे शहादत सजी तो आप शदीद बीमार थे आप हुसैनी काफिले के वाहिद मर्द थे जो इस मआरका हक़-ओ-बातिल बाद जिन्दा बचे थे 58 बरस की उम्र में वलीद बिन अब्दुल मलिक ने आपको ज़हर दिया जिस की वजह से आप 18 मोहर्रमुल हराम 94 हिजरी में शहादत के मनसब पर फ़ाइज़ होकर मदीना शरीफ में जन्नतुल बकी में आराम फरमा हुए इस मौके पर फातिहा ख्वानी हुई और दुआ की गई फिर शीरनी तकसीम हुई


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